चिदंबरम ने कहा, “नगरोटा में जो कुछ हुआ वह उतना ही शर्मनाक है जितना कि साल 2008 में मुंबई पर आतंकी हमला था। सीमा पार या एलओसी के पार से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों की घुसपैठ सर्जिकल स्ट्राइक से नहीं रोकी जा सकती।” उन्होंने कहा, स्ट्राइक से सीमा पर एक अलग तरह का संदेश गया कि अगर तुम यह कर सकते हो तो हम भी कर सकते हैं। इस तरह की कार्रवाई से सच्चे अर्थों में क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म खत्म नहीं हो सकता। चिदंबरम ने जोर देकर कहा कि पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते बातचीत से ही सामान्य हो सकते हैं सर्जिकल स्ट्राइक से नहीं।
चिदंबरम ने दावा किया कि गृह मंत्रालय के स्तर पर ‘‘कोई सामंजस्य’’ नहीं है और इसके कारण एक ‘अच्छा चलन’ बंद हो गया। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि गृह मंत्री, गृह सचिव, डीआईबी, रॉ के निदेशक और एनएसए का हर दिन बैठक करना एक अच्छा चलन था। यह प्रक्रिया अब बंद कर दी गयी। इसलिए गृह मंत्रालय के स्तर पर अब कोई सामंजस्य, कोई एकीकृत कमान नहीं है।” पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि भारत के पास ‘एकमात्र हल’ पाकिस्तान से संपर्क करना है और मौजूदा सरकार ने एक चरम पर शुरूआत की और अब एक दूसरे चरम पर पहुंच गयी है।