नई दिल्ली। न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच चल रही तकरार की हल्की झलक आज फिर दिखाई दी जब स्वतंत्रता दिवस के मौके पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया टीएस ठाकुर ने पीएम के भाषण में एक बेहद जरूरी मुद्दे का जिक्र नहीं करने पर निराशा जताई। जस्टिस ठाकुर ने जजों की नियुक्ति का मुद्दा उठाया। जस्टिस ठाकुर ने कहा कि हमें सोचना होगा कि इस देश के लोगों को इंसाफ मिले। मैं उम्मीद कर रहा था कि प्रधानमंत्री और कानून मंत्री के भाषण में जजों की नियुक्ति का जिक्र होगा। मुकदमे बढ़ गए हैं, लोगों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। इसलिए मैंने कहा है कि इस पर ध्यान दीजिए।
चीफ जस्टिस ने कहा कि 15 अगस्त के दिन की भी अपनी एक ख़ास अहमियत है। हमें उसे किसी भी तरह से कमतर नहीं करना चाहिए। यह दिन इसलिए अहम है क्योंकि जिन लोगों की वजह से आज यह दिन आया है उनको श्रद्धांजलि देना अहम है। आज भी देश के कई हिस्सों में जहां उग्रवाद है, जहां बाहरी और आंतरिक समस्याएं हैं, वहां कितने ही लोग, फौजी, पैरामिलिटरी फोर्सेज के लोग देश की किस प्रकार निगरानी कर रहे हैं यह हमें नहीं भूलना चाहिए।
उन्होंने कहा कि एक वक़्त था देश में अनाज भी पूरा नहीं होता था। उन दिनों से हम आगे आ चुके हैं। अब इतना अनाज है कि हम बाहर भेज सकते हैं। एक वक़्त था जब चांद कबायली हमला करके कब्ज़ा कर सकते थे। कश्मीर पर किया भी। चीन के खिलाफ फौज ने कैनवास शूज में लड़ाई की। आज हम एटॉमिक पॉवर हैं। आज गरीबी को लेकर बहुत बड़ा चैलेंज है। रोज़गार की समस्या आज भी है। मैं बड़ी बेबाकी से बोलता हूं। मुझे न किसी की कोई परेशानी है, न हिचकिचाहट होती है। ग़ुरबत हटाइए, बड़ी स्चेमेस बनाइए, लेकिन देशवासियों के लिए इंसाफ के लिए भी कुछ सोचिए। आज आपने हमारे बहुत ही पॉपुलर प्रधानमंत्री का भाषण सुना, मैं उम्मीद कर रहा था कि इंसाफ की बात होगी। जजों की अपॉइंटमेंट की बात होगी। मैंने बार बार गुज़ारिश की है, इस तरफ भी तवज्जो दीजिए।