1- हमने आपनी जांच में पाया कि पूरे घटनाक्रम में शहीद सीओ के साथ रहे इंस्पेक्टर सर्वेश मिश्रा की भूमिका सबसे संदिग्ध है।
2- इंस्पेक्टर सर्वेश मिश्रा को हथिगवां थाने के एसओ मनोज शुक्ला ने घटना स्थल पर जाने से मना किया था उसके बावजूद इंस्पेक्टर सर्वेश मिश्रा, सीओ जियाउलहक को लेकर प्रधान के घर गए।
3- इंस्पेक्टर सर्वेश मिश्रा के साथ चार आरक्षक भी थे जिसे सर्वेश मिश्रा ने अपने साथ नहीं लिया।
4- इंस्पेक्टर के साथ रहे आरक्षक ने आगाह किया था कि प्रधान का भाई हिस्ट्रीसीटर है, इसलिए फोर्स आने के बाद ही प्रधान के घर चलें तो बेहतर होगा। लेकिन इंस्पेक्टर सर्वेश मिश्रा फ़ोर्स के बगैर ही सीओ जियाउल हक को लेकर गांव में चले गए।
5- गोली चलने के बाद जब सर्वेश मिश्रा, गांव के बाहर पुलिस टीम से मिला तो उसने कहा कि सीओ के साथ साथ सब सेफ हैं।
6- इंस्पेक्टर सर्वेश मिश्रा ने अपने सीनियर होने का फायदा उठाते हुए थानाध्यक्ष और फोर्स को कम से कम 2 घंटे तक गांव में नहीं जाने दिया।
7- सीओ के बॉर्डीगार्ड का कहना है कि जैसे ही वो लोग पहुंचे गांव वालों ने पुलिस पर हमला कर दिया। जबकि उससे पहले पुलिस के साथ गुस्से वाली कोई बात नहीं थी।
8- सीओ के गनर इमरान ने हमें बताया कि जब भीड़ मारने के लिए पुलिस टीम के ऊपर टूटी, तब इंस्पेक्टर सर्वेश मिश्रा वहां मौजूद था, लेकिन कुछ ही देर बाद देखा तो वो वहां पर नहीं थे।
9- इंस्पेक्टर सर्वेश मिश्रा के चालक सुरेश सिंह और आरक्षक महबूब आलम ने हमारे खुफिया कैमरे पर स्वीकार किया कि गुलशन यादव (जिस पर जियाउल हक के घर वालों ने आरोप लगाया था) भी घटना के समय मौके पर मौजूद था। लेकिन सीबीआई की जांच में उसकी मौजूदगी के बारे में कुछ नहीं कहा गया है।
10- सीबीआई को दिए गए बयान में गांव के अंदर मौजूद पुलिस टीम और गांव के बाहर मौजूद टीम के बयान में भी अंतर हैं।
11- गांव के अंदर मौजूद टीम के अनुसार 5-6 फायर हुए, जबकि गांव के बाहर मौजूद टीम के अनुसार 2-3 फायर हुए।
12- आरक्षक शक्ति दत्त दूबे ने खुफ़िया कैमरे पर हमें बताया कि वो घटना स्थल पर एडिशनल एसपी के बाद पहुंचे थे जबकि सीबीआई के बयान में वो मनोज शुक्ला के साथ ही थे।
13- हमारी इंवेस्टिगेशन में ये बात भी समने आई कि तब नवाबगंज के थानेदार रहे अरविंद सिंह ने खुद सीबीआई की टीम के लिए दारू और मुर्गे का इंतजाम किया था।