नई दिल्ली:जासूसी की आड़ में सीडीआर (कॉल डिटेल रिकार्ड) बेचने का गोरखधंधा करने वाली डिटेक्टिव एजेंसियां क्राइम ब्रांच के रडार पर हैं। दो गिरोहों के 9 सदस्यों के पकड़े जाने के बाद क्राइम ब्रांच ने डिटेक्टिव एजेंसियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। क्राइम ब्रांच देशभर में सक्रिय डिटेक्टिव एजेंसियों का आंकड़ा जुटा रही है ताकि सीडीआर के नेटवर्क से जुड़ी अन्य एजेंसियों का पता लगाया जा सके। जयपुर और कानपुर के बाद अब क्राइम ब्रांच सीडीआर बेचने के नेटवर्क में शामिल अन्य राज्यों के पुलिसकर्मियों की तलाश में जुटी हैं।क्राइम ब्रांच की मानें तो सिर्फ दिल्ली में ही 200 से अधिक छोटी-बड़ी डिटेक्टिव एजेंसियां सक्रिय हैं। पूरे देश में इनकी संख्या सैकड़ों में हैं। अधिकतर डिटेक्टिव एजेंसियों के पास लाइसेंस नहीं है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के अनुसार डिटेक्टिव एजेंसी चलाने वाले लोग वेबसाइट बना लेते हैं और उसे कंपनी का रूप देकर काम करते हैं। सीडीआर बेचने के मामले में पकड़े गए दूसरे गिरोह के सदस्यों ने पूछताछ में बताया कि 500 से अधिक एजेंसियां उनके संपर्क में थीं और वे उन्हें सीडीआर बेचा करते थे। ऐसे में क्राइम ब्रांच देशभर में सक्रिय सीडीआर कंपनियों की पड़ताल करने में जुटी है। क्राइम ब्रांच की नजर अब मध्य प्रदेश, बिहार समेत कई अन्य राज्यों पर है।
क्राइम ब्रांच ने 10 जुलाई को सीडीआर बेचने वाले नेटवर्क से जुड़े कानपुर एसपी सिटी ऑफिस में तैनात सिपाही नरेंद्र, धनबाद झारखंड निवासी पंकज तिवारी, महिपालपुर दिल्ली निवासी जयवीर राठौर, उत्तम नगर दिल्ली निवासी आदित्य शर्मा उर्फ अर्पित और बीएलएस कंपनी के सीनियर सेल्स मैनेजर संजीव चौधरी को गिरफ्तार किया था। 19 जुलाई को क्राइम ब्रांच की स्पेशल टीम ने जयपुर साइबर सेल में तैनात मुकेश कुमार मीणा के अलावा पुणो से अनिकेत धामले, मुंबई से अभिनव कुमार एवं गजराज सिंह को गिरफ्तार किया था। ये सभी डिटेक्टिव एजेंसियों को सीडीआर बेचते थे।