क्या आपको पता है कि हम सब पर 54 हज़ार रुपये का कर्ज़ है। चौंक गए? प्रतिव्यक्ति पर ये कर्ज़ कैसे आया ये समझना बड़ा दिलचस्प है। दरअसल हर सरकार बाहरी एजेंसियों जैसे आईएमएफ और विश्व बैंक से पैसे उधार लेती है। इन पैसों से सरकार देश में विकास काम करती है। यानी हमारे और आपके लिए ये कर्ज़ लिया जाता है। इसका सीधा मतलब है कि आप परोक्ष रूप से इन एजेंसियों के कर्ज़दार हो गए हैं। 54000 की इस रकम को देश पर कुल कर्ज से कुल आबादी को विभाजित करके निकाला गया है। इससे पता चलता है कि प्रतिव्यक्ति पर कितना कर्ज़ है। वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक 31 मार्च 2016 तक प्रतिव्यक्ति कर्ज़ 53,796 हो गया है। मार्च 31, 2015 तक ये कर्ज़ राशि 49,270 रुपये था यानी सालभर में इसमें इज़ाफा हुआ है।
विश्लेषकों के मुताबिक साल दर साल कर्ज़ की राशि बढ़ेगी क्योंकि भारत में उधार लेकर विकास करने की चलन है। संसद में एक सवाल के जवाब में वित्त राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा था कि 31 मार्च 2016 तक प्रतिव्यक्ति कर्ज़ 9.2 फीसदी बढ़ा है। इसी समय सीमा के दौरान प्रतिव्यक्ति अंदरूनी कर्ज़ 9.3 फीसदी जबकि प्रतिव्यक्ति बाहरी कर्ज़ में 5.1 फीसदी का इज़ाफा हुआ है। लोकसभा में मेघवाल ने कहा कि बाहरी कर्ज़ में इज़ाफे का प्रमुख कारण आंतरिक कर्ज़ में बढ़ोतरी है जो पूरे कर्ज़ का करीब 97 फीसदी है।
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