नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार(एक सितंबर) को एक याचिका दायर करके केन्द्र तथा चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की मांग की गई कि दोषियों के आजीवन चुनाव लड़ने पर रोक लगे तथा उन्हें न्यायपालिका और कार्यपालिका में जाने नहीं दिया जाए। याचिका में चुनाव लड़ने के संबंध में उम्मीदवारों की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता और अधिकतम उम्र सीमा तय करने का निर्देश देने की भी मांग की गई।
अधिवक्ता एवं दिल्ली भाजपा प्रवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि ‘‘आतंकवाद और नक्सलवाद के अलावा, हमारे देश की सबसे गंभीर समस्या बडे पैमाने पर भ्रष्टाचार और राजनीति का अपराधीकरण है।’’
उन्होंने कहा कि ‘‘कार्यपालिका और न्यायपालिका में जब दोषी किसी अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है तो उसे स्वत: निलंबित तथा आजीवन अपनी सेवा से मुक्त हो जाना चाहिए। हालांकि यह नियम कानून में दोषी व्यक्तियों के मामले में अलग अलग तरीके से लागू होता है।’’
याचिका में कहा गया कि ‘‘दोषसिद्धि और सजा काटने के बाद भी दोषी व्यक्ति अपनी राजनीतिक पार्टी बना सकता है और वह किसी राजनीतिक दल का पदाधिकारी बनने के लिए योग्य है।’’