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मैंने अपनी बात साफ कह दी, ‘मैंने नरेंद्रभाई से वादा किया है।’ दो दिन में फिर फोन करने की बात कहकर मैंने मोदी से बात की। मैंने उनसे साफ कहा, ‘मैं कॉल कर के सुदर्शनजी को कह देता हूं कि मैंने अपनी बात रख दी है और वापस नहीं ले सकता।’ मोदी ने कहा, ‘नहीं, जाने दीजिए।’ मैंने कहा, ‘मुझे कोई झिझक नहीं है, मैं पछतावा नहीं करता।’ मगर मोदी ने मुझे मामले को छोड़ देने की सलाह दी।
मोदी के दिमाग में यह चीज साफ थी कि वह नहीं चाहते थे कि मैं उनके लिए आरएसएस प्रमुख से संबंध खराब करूं। इसलिए मेरा अपार्टमेंट शेषाद्रि चारी को मिला।”
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