सुरक्षा से जुड़े एक सीनियर अधिकारी ने कहा, ‘हालांकि, ऐसा होने की एक वजह यह भी है नोटबंदी से पहले ही घाटी में हालात आंशिक तौर पर ही सही, सामान्य हो गए थे। इससे यह भी पता चलता है कि आतंकवादियों को अपनी हरकतों को अंजाम देने में काफी परेशानी आ रही है।’ अधिकारी ने कहा कि सुरक्षाबल आतंकवादी गतिविधियों में आई कमी का फायदा उठा सकते हैं। इस दौरान वे घाटी में छिपे आतंकवादियों के खिलाफ अपने अभियान को और तेज कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘सबसे पहले आतंकी समूहों के संसाधन पाने के रास्तेे बंद कर दो और जब तक वे कोई और रास्ताो ढूंढे, उनका खात्मा कर दो।’
खुफिया जानकारियों के मुताबिक, नोटबंदी की वजह से माओवादियों पर जबर्दस्त’ असर पड़ा है। उनकी फंडिंग का रास्ता बंद हो गया है। बिहार और झारखंड स्थित सीपीआई (माओवादी) नेताओं के बीच जो बातचीत पकड़ी गई है, उससे पता चलता है कि उन्हें ढेर लगाकर रखे गए अपने कैश को खो देने का डर है। यह कैश लेवी और फिरौती के जरिए हासिल हुआ है। इस बीच, सरकारी एजेंसियों ने नक्सल प्रभावित इलाकों में पैसे के फ्लो पर कड़ी नजर रखनी शुरू कर दी है। इस तरह की खुफिया जानकारियां हैं कि माओवादी बैंक या कैश वैन्सस को निशाना बना सकते हैं ताकि अपनी भरपाई कर सकें।