नोटबंदी ने ऐसे तोड़ी आतंकियों और नक्सलियों की कमर

0
Prev1 of 2
Use your ← → (arrow) keys to browse

नई दिल्लीे : नोटबंदी ने जम्मू-कश्मीर के आतंकवादियों और देश भर में फैले नक्सलियों की कमर तोड़ दी है। एक तरफ जहां कश्मीर में हवाला के जरिए आतंकियों और अलगाववादियों तक पहुंचने वाले पैसे में काफी कमी आई है वहीं नक्सलियों ने बड़ी करंसी के रूप में जो पैसा जमा कर रखा था, वह अब बेकार हो चुका है।

सूत्रों ने बताया कि कश्मीर में आतंकियों और अलगाववादियों तक हवाला के जरिए जो पैसा पहुंचता था, वह ज्दायातर 500 और 1000 रुपये के नोटों में होता था। अब पुराने नोटों पर बैन लगने के बाद इस फंडिंग में काफी कमी आई है। उधर, देश के कई राज्यों में फैले माओवादी समूह, खासकर बिहार और झारखंड के माओवादियों ने फिरौती के जरिए जो मोटी रकम जमा कर रखी थी, उसे भुनाने में अब उनके पसीने छूट रहे हैं।

इसे भी पढ़िए :  नई सरकार नया सफर: 5 महीने बाद मणिपुर में आर्थिक नाकेबंदी खत्म.... पटरी पर लौटी जिंदगी

जम्मूी-कश्मीेर में टेरर फंडिंग पर नजर रखने वाले एक इंटेलिजेंस अधिकारी ने बताया कि 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों पर बैन लगने के बाद हवाला चैनल के जरिए आने वाले पैसे का स्रोत सूख गया है। अब जबकि हिंसा और प्रदर्शनों को फंड करने के लिए पैसा नहीं है, इन कामों को अंजाम देने वाले चुपचाप बैठे हुए हैं। हिंसक प्रदर्शन करवाने या पत्थरबाजी को फंड करने के लिए उनके पास पैसा नहीं है।

इसे भी पढ़िए :  कोर्ट के कहने पर ‘ठुल्ला’ का मतलब समझाएंगे केजरीवाल ?

एक सूत्र ने कहा कि किसी भी आतंकी ऑपरेशन या भीड़ द्वारा प्रदर्शन कराने के लिए पैसे की जरूरत होती है, और यह हवाला के जरिए आता है। सूत्र ने कहा, ‘यह गौर करने वाली बात है कि घाटी में 8 नवंबर के बाद से कोई भी बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ है।’
अगले पेज पर पढ़िए- अपनी हरकतों को आंजाम नहीं दे पा रहे हैं आतंकी

इसे भी पढ़िए :  मिलिए मोदी के ‘AK-47’ से, पीएम की हर योजना के पीछे है इस शख्स का हाथ
Prev1 of 2
Use your ← → (arrow) keys to browse