स्वस्थ्य मंत्रालय जल्दी ही एक अहम कदम उठाने जा रहा है जिसके तहत मैरिड महिलाओं के साथ-साथ कुंवारी और सिंगल महिलाएं भी अनचाहे गर्भ को अबोर्ट करवा सकेंगी। मौजूदा कानून में गर्भनिरोधक गोलियों और अनियोजित गर्भधारण के हालात में विवाहित औरतेें गर्भपात करा सकती हैं। फिलहाल ये सुविधा अविवाहित महिलाओं को नहीं हासिल है। लेकिन अब केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रस्ताव पर मुहर लगा सकती है
वर्तमान में अबॉर्शन के लिए एक डॉक्टर की आवश्यकता पड़ती है, जो बताता है कि क्यों अबॉर्शन जरूरी है। देश में सेक्सुअली ऐक्टिव सिंगल व अनमैरिड विमिन को देखते हुए सरकार अबॉर्शन के कानूनी दायरे को बढ़ाना चाहती है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह एक प्रगतिशील कदम होगा व महिलाओं को अबॉर्शन के सुरक्षित व कानूनी विकल्प मुहैया करवाएगा।
1971 में बनाए गए नियमों के तहत एक गर्भवती महिला गर्भ में पल रहे बच्चे में किसी गंभीर बीमारी की पहचान के बाद गर्भपात करा सकती है। लेकिन उसके लिए 20 हफ्ते ( करीब पांच महीना) का गर्भ होना जरूरी होता है। जानकारों का कहना है कि सरकार के इस योजना से अविवाहित महिलाओं को सामाजिक ताने को सुनने से आजादी मिलेगी, और वो सम्मान के साथ जी सकेंगी।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने होम्योपैथ के डॉक्टरों, नर्सों मिडवाइफ को ट्रेनिंग देकर गर्भपात करने की संस्तुति की है। IPAS के निदेशक के मुताबिक सरकार के इस कदम से अविवाहित महिलाएं या वो महिलाएं जो किसी वजह से बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती हैं उन्हें मानसिक तौर पर राहत मिलेगी। इसके अलावा महिलाएं अपनी सेक्सुअल और प्रजनन संबंधी अधिकारों से वाकिफ हो सकेंगी।