राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व विचारक केएन गोविन्दाचार्य ने प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर को पत्र लिखकर कथित रूप से नोटबंदी के कारण मरने वालों को मुआवजा देने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि उनके पत्र को जनहित याचिका के रूप में देखा जाए क्योंकि 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को चलन से बाहर करने के सरकारी फैसले से ‘आर्थिक आपातकाल’ जैसी स्थिति पैदा हो गई है और ‘बड़ी संख्या में गरीब तथा वंचित तबका अपनी वित्तीय सुरक्षा से वंचित हो गया है।’
कथित रूप से नोटबंदी के कारण मरने वालों के लिए मुआवजे की मांग करते हुए गोविन्दाचार्य ने पत्र में लिखा है, ‘नोटबंदी को सही तरीके से लागू नहीं करने की वजह से 70 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है, जबकि अन्य लोग केन्द्र के इस भयावह फैसले के कारण आर्थिक दिक्कतों से जूझ रहे हैं। बड़ी संख्या में गरीब और वंचित तबके के लोग हैं जिनसे उनकी वित्तिय सुरक्षा छिन गई है, लेकिन उनके पास उच्चतम न्यायालय में औपचारिक याचिका दायर करने को धन नहीं है।’
भाषा की खबर के अनुसार, उन्होंने लिखा है, ‘वर्तमान स्थिति और कुछ नहीं बल्कि संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत आने वाले वित्तीय आपातकाल को अघोषित रूप से लागू किया जाना है, वहीं केन्द्र सरकार अपनी गारंटी का सम्मान रखने में असफल रही है।’ गोविन्दाचार्य ने यह भी कहा कि उन्होंने 17 नवंबर को आर्थिक मामलों के विभाग को पत्र लिखकर नोटबंदी की घोषणा पर कानूनी भ्रम के बारे में बताया था, लेकिन अभी तक उनके जवाब का इंतजार है।