भारत के गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में जमा अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कश्मीर में भारत विरोधी नारे लगाने और नौजवानों को पत्थरबाजी/विरोध प्रदर्शन के लिए उकसाने में स्थानीय मस्जिदों की मदद ली गई। मंत्रालय ने कोर्ट से कहा कि आतंकी बुरहान वानी की मुठभेड़ में मौत के बाद घाटी में हिंसा भड़काने में सोशल मीडिया का भी जमकर इस्तेमाल किया गया। गृह मंत्रालय ने ये रिपोर्ट शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अदालत में पेश की। रिपोर्ट के अनुसार घाटी में हुई हिंसा में 42 आम नागरिकों और दो सुरक्षा बलों की मौत हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार नौ जुलाई से दो अगस्त के बीच 2650 घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। घायलों में 470 को मेजर सर्जरी कराने की जरूरत पड़ी। रिपोर्ट में बताया गया है कि घायलों में 240 को आंखें में कथित तौर पर पैलेट गन से चोटें लगी थीं। इनमें से करीब एक चौथाई की आंखों की रोशनी बचाने के लिए मेजर सर्जरी की जरूरत पड़ी। रिपोर्ट के अनुसार 30 जुलाई तक 51 प्रदर्शनकारी अस्पताल में अपनी आंखों इलाज करा रहे थे। जबकि चार अन्य को स्पेशलाइज्ड रेटिना ट्रीटमेंट के लिए नई दिल्ली स्थित एम्स हॉस्पिटल में ले जाया गया। वहीं घाटी में मुंबई से आए नेत्र विशेषज्ञों द्वारा तीन दिनों में कम से कम 48 हाई-एंड रेटिना सर्जरियां की गईं।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते केंद्र सरकार से आठ जुलाई को बुरहानी वानी और दो अन्य आतंकियों के मारे जाने के बाद भड़की हिंसा के बाद कश्मीर के ताजा जमीनी हालात पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी। ये रिपोर्ट कश्मीर में हुई हिंसा पर सरकार का पहला आधिकारिक बयान है। सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने रिपोर्ट के मौजूं हिस्सों को अदालत में पढ़कर सुनाया। उन्होंने अदालत से कहा कि अब स्थिति नियंत्रण में है।
रिपोर्ट के अनुसार भारत विरोधी और असमाजिक तत्वों ने बुरहान वानी की मौत की खबर का फायदा उठाते हुए सोशल मीडिया पर लोगों की भावनाएं भड़काईं और उन्हें उकसाया। कुछ मस्जिदों से भी नौजवानों को सड़कों पर उतरने के कहा गया। आठ जुलाई से तीन अगस्त तक घाटी में कुल 872 घटनाएं घटीं। इनमें से 22 घटनाएं वानी की मौत के एक दिन बाद नौ जुलाई को घटीं। जुलाई 10 को 153 घटनाएं घटित हुईं। रिपोर्ट के अनुसार कम से कम 3783 सुरक्षा बल प्रदर्शनों के दौरान घायल हुए। वहीं 28 सरकारी संस्थानों में आग लगा दी गई।
मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार पहले राज्य के 10 जिलों में कर्फ्यू लगाया गया था लेकिन अब श्रीनगर, अनंतनाग और पुलवामा में जिलों में ही कर्फ्यू लगा हुआ है। कुमार ने अदालत को बताया कि घायलों को चिकित्सा सुविधा और आम नागरिकों के लिए आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। कुमार ने अदालत से कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार आया है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की रिपोर्ट स्वीकार करते हुए इसकी एक प्रति अदालत में जनहित याचिका दायर करने वाली जेएंडके पैंथर्स पार्टी के सीनियर एडवोकेट भीम सिंह को देने का भी आदेश दिया। अदालत ने 22 जुलाई को मामले की अगली सुनवाई में सिंह से रिपोर्ट पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए कहा है।