शाबिन ने पुलिस को बताया कि लड़की को खाड़ी देश में भेजने के लिए एजेंट 50 से 60 हजार रुपये लेता था। जिसके बदले उस पर दिल्ली से कोलंबो ले जाने और वहां से रोजगार वीजा पर खाड़ी देश भेजने की जिम्मेदारी होती थी। शाबिन प्रत्येक लड़की के बदले 35 हजार रुपये कमाता था, जबकि लड़कियों को खाड़ी देश में नौकरी दिलाने पर शाबिन शाह पांच हजार रुपये अतिरिक्त लेता था। लड़कियों का पासपोर्ट जब्त कर एजेंट देह व्यापार के लिये मजबूर करते थे।
विद्या की कहानी
जलपाईगुडी पश्चिम बंगाल निवासी बिद्या लामा विधवा है और उसके दो बच्चे हैं। उसके पिता किसान है और वह 8वीं पास है। पांच साल पहले वह शाबिन शाह के साथ कुवैत गई थी और वहां पर घरेलू मेड के तौर पर काम करते हुए तीन साल रही थी। वहां से वापस आने के बाद वह शाबिन के संपर्क में रही और उसके लिए शेल्टर होम चलाने लगी। इसके बदले शाबिन उसे 15 हजार रुपये देता था। पीड़ितों ने क्राइम ब्रांच को बताया कि नेपाल एवं उत्तर-पूर्वी भारत के राज्यों से लाई जा रही लड़कियों को महिपाल एवं रूपनगर में रखा जाता था। वहां उन्हें बताया जाता था कि उन्हें दिल्ली से सीधे दुबई भेजा जाएगा और रुपये की डिमांड की जाती थी, जो रुपये देने से मना करता था उसे अंधेरे कमरे में रखा जाता था। इन लड़कियों को बिद्या लामा देखती थी और उन पर रुपये देने का दबाव डालती थी।
इमीग्रेशन एक्ट 1983 के तहत यूनाइटेड अरब अमीरात, सउदी अरेबिया, कतर, ओमान, कुवैत, बहरीन, मलेशिया, लीबिया, जॉर्डन, यमन, सूडान, अफगानिस्तान, इंडोनेशिया, सीरिया, लेबनान, थाईलैंड और इराक जैसे 18 देशों में इमीग्रेशन चेक अनिवार्य है और उन देशों से इमीग्रेशन क्लीयरेंस लेना पड़ता है। जबकि श्रीलंका में इमीग्रेशन चेक की जरूरत नहीं होती। यही वजह है कि मानव तस्कर श्रीलंका के रास्ते लड़कियों को खाड़ी देश भेजा करते थे।