अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने बुधवार (22 फरवरी) को कहा कि नोटबंदी से उपजी ‘अस्थायी बाधाओं’ के कारण अर्थव्यवस्था में आए तनाव से भारत की वृद्धि दर 2016-17 में घटकर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अपनी सालाना रपट में हालांकि आईएमएफ ने कहा है कि नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर केवल फौरी असर होगा यह अगले कुछ साल में आठ प्रतिशत से अधिक की अपेक्षित वृद्धि दर की राह पर लौट आएगी।
भारत पर अपनी सालाना रपट में आईएमएफ ने कहा है कि 8 नवंबर 2016 के बाद नकदी की कमी तथा भुगतान दिक्कतों में खपत व व्यापार गतिविधियों को कमतर आंका गया और वृद्धि के क्रम को बनाए रखने के सामने एक नयी चुनौती खड़ी हुई। इसने कहा है,‘ वित्त वर्ष 2016-17 में वृद्धि दर घटकर 6.6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह 2017-18 में बढ़कर 7.2 प्रतिशत रहना अनुमानित है।’आईएमएफ ने कहा है कि नकदी की कमी के कारण विशेषकर निजी खपत से फौरी बाधाओं का असर वृद्धि पर पड़ेगा। रपट में कहा गया है कि नकदी की कमी दूर होगी तो अनुकूल मानसून, तेल की नीची कीमतों व आपूर्ति संबंधी बाधाओं को दूर करने की दिशा में सतत प्रगति से वृद्धि को समर्थन मिलेगा।
भारत में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से उसकी जीडीपी वृद्धि मध्यम अवधि में आठ प्रतिशत से अधिक हो सकती है। साथ ही वस्तुओं एवं सेवाओं की आवाजाही की बेहतर तरीके से करने के लिये एकल राष्ट्रीय बाजार सृजित करने में मदद मिलेगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने बुधवार (22 फरवरी) को कहा। साथ ही अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने जीएसटी क्रियान्वित करने को लेकर चिंता भी जतायी है।
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