मुंबई : पिछले साल मई के अंत से लेकर जुलाई के अंत तक देश के पेमेंट्स नेटवर्क में सेंध लगाकर अभी तक के सबसे बड़े सायबर सिक्यॉरिटी क्राइम को अंजाम दिया गया था। इससे बहुत से विदेशी ट्रैवलर्स सहित बैंक कस्टमर्स के बैंक अकाउंट हैक होने की आशंका जताई गई थी। इससे हजारों लोगों को नुकसान उठाना पड़ा था। शुरुआती जांच में यह पता चला था कि हिताची के नेटवर्क में हैकर्स ने सेंध लगाई थी।
हिताची को कुछ बैंकों ने अपनी एटीएम ट्रांजैक्शंस की प्रोसेसिंग आउटसोर्स की थी। इसके बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने बैंकों को सायबर सिक्यॉरिटी बढ़ाने के लिए बहुत से सुझाव दिए थे। इसके साथ ही आरबीआई ने वीजा, मास्टरकार्ड और एनपीसीआई जैसी पेमेंट कंपनियों के साथ मीटिंग भी की थी। हिताची ने इस मामले की विस्तृत जांच के लिए बेंगलुरु की एक पेमेंट्स सिक्यॉरिटी फर्म को हायर किया था।
इस फर्म की ऑडिट रिपोर्ट पिछले सप्ताह आरबीआई को सौंपी गई। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के अधिकतर बैंकों और कंपनियों में इस्तेमाल किए जा रहे ऐंटी-वायरस और ऐंटी-मालवेयर डिवाइसेज सायबर हमलों का मुकाबला करने के लायक नहीं हैं। इसका मतलब है कि अगर हैकर्स की ओर से भेजे गए मालवेयर का कोड चतुराई से लिखा गया है तो वह अधिकतर ऐंटी-मालवेयर वॉल्स को भेद सकता है।
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