आदरणीय प्रधानमंत्री जी,
मैं आपको बहुत ही उम्मीद और आशा के साथ यह पत्र लिख रही हूं। 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में निर्भया बलात्कार की दर्दनाक घटना के चार साल बीत जाने के बाद आज भी दिल्ली में महिलाएं एवं बच्चियां सुरक्षित नहीं हैं। आज चार साल के बाद भी जमीनी स्तर पर स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं हुआ है। आज भी दिल्ली में तीन-तीन साल की बच्चियों के साथ बलात्कार हो रहे हैं और महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ता जा रहा है।
पिछले महीने 21 नवम्बर को एक 4 साल की बच्ची का रेप करके उसकी हत्या कर दी गई। उसके अगले दिन ही एक 3 साल की बच्ची के साथ रेप करके उसकी हत्या करने की कोशिश की गई। उससे कुछ हफ्ते पहले एक 11 महीने की बच्ची के साथ 2 घंटे तक बलात्कार हुआ। आज हर दिन दिल्ली में 6 लड़कियां निर्भया बन रही हैं। दिल्ली दुनिया में रेप कैपिटल के रूप में जानी जाने लगी है।
सर, दिल्ली पुलिस से महिला अपराध पर मिले अपराध के आंकड़ें बताते हैं कि वर्ष 2012 से 2014 में महिलायों के खिलाफ अपराध में 31446 FIR दर्ज हुई और सिर्फ 146 लोगों को सजा मिली। यह साफ दिखाता है कि दिल्ली में अपराधियों के मन में कोई डर नहीं है कि अगर वो गलत करेंगे तो सिस्टम उन्हें बख्शेगा नहीं। यंहा तक की निर्भया को भी अभी तक न्याय नहीं मिला है।
पिछले दिनों निर्भया की मां मुझसे मिली तो उन्होंने मुझसे गुस्से में कहा कि कभी कभी उन्हें लगता है कि ठीक हुआ उनकी बेटी मर गई नहीं तो अब तक न्याय न मिलने के कारण शायद घुट घुट कर मर जाती। यह इस देश के लिए बहुत शर्मनाक बात है। उनका दुःख देश की हर निर्भया और उसके परिवार का दुःख है।
सर मुझे लगता है कि अगर महिलायों के खिलाफ अपराध करने वाले अपराधी को हर हाल में और जल्द सजा मिलने लगे तो सुधार जरूर होगा। इसके लिए युद्ध स्तर पर पुलिस की जवाबदेही बढ़ाने की जरूरत है और साथ में पुलिस के संसाधन भी। इसके अलावा फोरेंसिक लैब और कोर्ट्स भी बढ़ाने की जरूरत है। यह सब तभी संभव होगा जब केंद्र व दिल्ली सरकार साथ मिलकर काम करेंगे।
अभी केंद्र व दिल्ली सरकार की आपसी खीचतान का खामियाजा दिल्ली की महिलायों व बच्चियों को भुगतना पड़ रहा है। इस वक्त दिल्ली में महिला सुरक्षा पर ऐसी कोई प्रभावशाली कमेटी नहीं है जो केंद्र व राज्य सरकार को साथ काम करने के लिए बाध्य कर सके और महिलाओं के हित में निर्णय लिए जा सके। अगर ऐसी कोई कमेटी होती तो मुझे पूरा विश्वास है कि दिल्ली में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध में कमी आती और पुलिस की जवाबदेही बढ़ाना, पुलिस रिकॉर्ड का डिजिटल करना, थाना लेवल कमेटी बनाना, स्ट्रीट लाइट लगवाने, टॉयलेट बनवाने, विक्टिम कम्पनसेशन स्कीम लागू करना, देह व्यापार रोकना, दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगवाने जैसे काम गति से हो पाते।
इस उलझी हुई स्थिती को सुलझाने के लिए दिल्ली महिला आयोग पिछले डेढ़ साल से केंद्र सरकार से गुहार लगा रहा है कि दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा पर केंद्र व राज्य के बीच समन्वय के लिए एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया जाए जिसमें माननीय केंद्रीय गृह मंत्री, माननीय उप राज्यपाल, दिल्ली के माननीय मुख्यमंत्री, दिल्ली पुलिस कमिश्नर और दिल्ली महिला आयोग को शामिल किया जाए।
ताकि केंद्र व दिल्ली सरकार हर महीने एक मंच पर आकर दिल्ली की महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए ठोस निर्णय ले सकें। अभी तो हाल ये है कि दिल्ली में माननीय उप राज्यपाल ने पिछले एक साल में सेंट्रल होम मिनिस्ट्री के कहने के बाद भी महिला सुरक्षा पर एक भी मीटिंग नहीं बुलाई है।
निर्भया बलात्कार की घटना के बाद दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा को दुरुस्त करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया था जिसमें गृह सचिव की अगुवाई में गृह मंत्रालय के अधिकारी, दिल्ली सरकार के अधिकारी, दिल्ली पुलिस के अलावा दिल्ली महिला आयोग को भी शामिल किया गया था। इस कमेटी का मकसद केंद्र व दिल्ली सरकार के बीच में महिला सुरक्षा पर समन्वय स्थापित करना था। लेकिन इस साल जुलाई के महीने में इस स्पेशल टास्क फोर्स को भी यह कहकर बंद कर दिया कि महिला सुरक्षा के जिस उद्देश्य के लिए यह कमेटी बनाई गई थी वह पूरा हो गया। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
निर्भया बलात्कार की घटना के बाद बने निर्भया फंड के 3 हजार करोड़ रुपए भी अब तक खर्च नहीं हुए हैं। दिल्ली सरकार ने डीटीसी बसों में सीसीटीवी लगाने के लिए केंद्र से जुलाई 2015 में निर्भया फण्ड मांगा था लेकिन आजतक ये फण्ड उनको नहीं मिला।
सर हमने पहले भी पत्र लिख कर निर्भया फण्ड सुचारू रूप से इस्तेमाल के लिए सुझाव दिए थे कि निर्भया फण्ड का इस्तेमाल देश के पुलिस स्टेशनों, स्कूल, कॉलेज और बसों में सीसीटीवी लगवाने के लिए किया जाएं। फॉरेंसिक लैब और वन स्टॉप सेंटर बनाने के लिए, मानव तस्करी व एसिड अटैक पीड़िताओ के पुनर्वास के लिए और नारी निकेतन में रहने वाली महिलाओं व बच्चियों के कल्याण के लिए भी निर्भया फंड का इस्तेमाल किया जा सकता है। दिल्ली महिला आयोग का मानना है कि निर्भया फण्ड का इस्तेमाल सुचारू रूप से तभी हो सकता है जब इस फण्ड को राज्यों के बीच बांट दिया जाए और दिल्ली में केंद्र व राज्य की हाई लेवल कमेटी इस पर निर्णय ले।
मैं आपका ध्यान दिल्ली महिला आयोग की ओर भी आकर्षित करना चाहती हूं। पिछले एक साल में दिल्ली महिला आयोग ने 12 हजार केस देखे हैं। 3.16 लाख कॉल्स 181 हेल्पलाइन पर अटेंड की गई हैं। हमारी टीम ने 7500 महिलायों के घर जाकर उनकी मदद की है। 55 सिफारिश केंद्र व राज्य सरकार को भी महिला आयोग ने दी हैं। आपको जानकर बहुत खुशी होगी कि दिल्ली महिला आयोग देश का पहला महिला आयोग है जो शनिवार को भी काम करता है।पर आज दिल्ली महिला आयोग पर हर तरफ से आक्रमण किया जा रहा है।
देश की संसद से तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित जीबी रोड पर वैश्यालय चल रहे हैं जहां रोज छोटी-छोटी मासूम बच्चियों की आबरू को रौंदा जा रहा है। हर लड़की को 30-30 लोगों के साथ सोना पड़ता है। जब दिल्ली महिला आयोग ने इस मानव तस्करी के धंधे को खत्म करने का बीड़ा उठाया तो हम पर दो झूठी FIR दर्ज करा दी गई। हम इस ओर काम न करें और इसलिए ऐसे झूठे केस दर्ज करा दिए गए। इतना ही नहीं दिल्ली महिला आयोग की स्वायत्तता को खत्म करने की कोशिश की जा रही है।
यहां काम करने वाले स्टाफ की तीन महीने से सैलरी रोक दी गई है। महिला आयोग में एसिड अटैक पीड़ित, अनाथ लड़कियां व अन्य पीड़िताएं भी नौकरी करती हैं उन सब की भी सैलरी रोक दी गई है। आज उनके घर में पाई-पाई की किल्लत हो रही है। दिल्ली महिला आयोग के रेप क्राइसिस सेल, 181 वीमेन हेल्पलाइन, मोबाइल हेल्पलाइन आदि प्रोग्राम बंद होने के कगार पर है। आज दिल्ली में रेप तो नहीं रुक रहे बल्कि दिल्ली महिला आयोग को बंद करने की नाजायज़ कोशिश की जा रही है।
सर, दिल्ली की यह बेटी दिल्ली की महिलाओं के मन की बात इस पत्र के माध्यम से आप तक बहुत आशा से पहुंचा रही है। मैं आपसे गुजारिश करती हूं कि इस पत्र पर संज्ञान लेते हुए तुरंत दिल्ली में महिला सुरक्षा पर हाई लेवल कमेटी का गठन करवाए। मै आपसे निवेदन करती हूँ कि आप मुझे मिलने का भी समय दें ताकि मैं दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा का सुनिश्चित करने में आने वाली समस्याओं को विस्तार से आपको अवगत करा सकूँ।