सिंधु जल समझौते के तहत भारत ने अपने हिस्से के पानी का भरपूर इस्तेमाल को लेकर अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं। जिसके लिए शुक्रवार को उच्च स्तरीय टास्क-फोर्स की पहली बैठक की गई। इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री के मुख्य सचिव नृपेंद्र मिश्रा ने की। जिसमें जम्मू और कश्मीर के हाइड्रो पावर प्रॉजेक्ट्स के काम में तेजी लाने और समझौते के को लेकर बातचीत हुई। मिली जानकारी के अनुसार इस प्रोजेक्ट में सिंधु, झेलम और चिनाब नदी के पानी का उपयोग करने के लिए जलाशय और नहरों का निर्माण कार्य तेज करने पर ध्यान दिया जाएगा।
बैठक में पंजाब के चीफ सेक्रटरी भी शामिल हुए थे। कहा जा रहा है कि रावी, ब्यास और सतलुज जैसी नदियों को लेकर इस पूरी प्रक्रिया में पंजाब की भागीदारी काफी अहम है। बैठक में शामिल एक अधिकारी ने बताया, ‘इस पहली बैठक का मकसद (सिंधु) समझौते के अंदर रहते हुए अपने हिस्से के पानी का पूरा इस्तेमाल करने के भारत के इरादे को दिखाना और दोनों राज्यों (पंजाब और जम्मू कश्मीर) को इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए मनाना था।’ इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘दोनों ही राज्यों को जल्द से जल्द अपनी ग्राउंड रिपोर्ट देने को कहा गया है। इस संबंध में टास्क फोर्स की अगली बैठक जनवरी में होगी।’
इस बैठक में पंजाब और जम्मू-कश्मीर के चीफ सेक्रटरीज के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, विदेश सचिव एस. जयशंकर, वित्त सचिव अशोक लवासा और जल संसाधन सचिव शशि शेखर शामिल हुए। बैठक में इन लोगों ने चेनाब और इसकी सहायक नदियों पर हाइड्रो-पावर प्रॉजेक्ट्स से जुड़े काम को तेजी से करने की सरकार से मंशा जाहिर की।
आपको बता दे, इस मामले को लेकर हाल ही में पंजाब के बठिंडा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि नदी के पानी को रोककर भारत के किसानों तक पानी की आपूर्ति किस तरह से करवाई जाए। इसके पूर्व 27 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंधु नदी जल समझौते की समीक्षा करने का निर्णय भी किया।