जम्मू कश्मीर की स्थिति का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री अरूण जेटली ने बुधवार (24 मई) को कहा कि सेना के अधिकारी ‘‘युद्ध जैसे’’ क्षेत्र में निर्णय करने के लिए स्वतंत्र हैं। रक्षा मंत्री का यह बयान सेना द्वारा नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तानी चौकियों पर गोलाबारी हमले की बात का खुलासा करने के एक दिन बाद आया है। जेटली ने कहा, ‘‘सैन्य समाधान सैन्य अधिकारियों द्वारा मुहैया कराये जाएंगे। युद्ध जैसे क्षेत्र में जब आप हो तो स्थितियों से कैसे निबटा जाए…हमें अपने सैन्य अधिकारियों को निर्णय करने देने की अनुमति देनी होगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें संसद के सदस्यों से विचार विमर्श नहीं करना होगा कि इस प्रकार की परिस्थिति में क्या करना चाहिए।’’ रक्षा मंत्री जम्मू कश्मीर की स्थितियों के बारे में सवालों का जवाब दे रहे थे।
जेटली की यह टिप्पणी मेजर लीतुल गोगोई के उस कदम का समर्थन करते हुए भी प्रतीत हो रही थी जिसके तहत उन्होंने कश्मीर में पथराव से सुरक्षाबलों के बचाव के लिए पथराव करने वाले एक व्यक्ति को जीप में बांध दिया था। भारतीय थलसेना ने कल कहा था कि उसने नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तानी ठिकानों पर दंडात्मक गोलाबारी की जिससे ‘‘कुछ नुकसान’’ पहुंचा है। सेना की ओर से यह कार्रवाई उसके दो सैनिकों के सिर काटे जाने के कुछ दिन बाद की गयी है। सेना ने सैन्य कार्रवाई का एक वीडियो जारी किया जिसमें वनक्षेत्र में कुछ ढांचों को बार बार की जाने वाली गोलाबारी के कारण नेस्तनाबूद होते दिखाया गया है।
बता दें कि भारत के जवाब में पाकिस्तान की ओर से भी एक वीडियो जारी किया गया है। इस वीडियो में पाकिस्तान ने भारत के कुछ बंकरों को निशाना बनाने का दावा किया है। लेकिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान के इस दावे को सरासर झूठ करार दिया है। इस बीच 24 मई को ये भी खबर आई थी कि पाकिस्तान के वायुसेना के विमानों ने सियाचीन में उड़ाने भरी है, लेकिन भारत ने इस दावे को भी गलत करार दिया। भारत का कहना है कि पाकिस्तान की ओर से ऐसी कोई भी मूवमेंट नहीं की गई है और पाकिस्तान सिर्फ भारत पर दवाब बनाने के लिए ही ऐसे झूठे बयान दे रहा है।