डीजी ने कहा, हमने विशेषज्ञों और बल के डॉक्टरों से बातचीत करके पुस्तिका तैयार की है। इसका उददेश्य सैनिकों और उनके परिवारों को स्वस्थ तथा खुश रखना है चूंकि वे दुर्गम इलाकों में तैनात रहते हैं जहां दुनिया से संवाद कट जाता है।
जवानों की पत्नियों के लिए दी गई किताब में उन्हें बताया गया है कि उन्हें अपने पतियों की रेजीमेंट संख्या (बल आईडी), रैंक, वर्तमान वेतन, बटालियन या इकाई का स्थान और यहां तक कि उन्हें मिलने वाली सरकारी छुटिटयों की भी जानकारी होनी चाहिए।
इसमें कहा गया है, आप सुनिश्चित कीजिए कि आपका नाम उनकी सेवा पुस्तिका में हो, आपका नाम सेवा रिकॉर्ड में और सभी बैंक खातों और जीवन बीमा पॉलिसियों में आपके पहले परिजन के तौर पर लिखा हो। आईटीबीपी प्रवक्ता उप कमांडेंट विवेक के़ पांडेय ने इस पहल के उददेश्य बताए। उन्होंने कहा, बल का डयूटी चार्टर ऐसा होता है कि जवान लंबे समय तक घरों से दूर होते हैं और छुटिटयों में ही अपने घर जाते हैं। उनकी गैर मौजूदगी में उनकी पत्नियां घर चलाती हैं।