नई दिल्लीः तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता पिछले दो साल से वह शारीरिक और मानसिक समस्याओं जूझ रहीं थीं। दो साल पहले पद पर रहते हुए कोर्ट के आदेश पर जेल जाने के बाद लगे सदमे से जयललिता की सेहत एक बार जो खराब होनी शुरू हुई तो फिर से वह संभल नहीं सकीं। उनके शुगर का लेवल इतना ऊपर-नीचे होता रहा कि डॉक्टरों ने भी हाथ खड़े कर दिए। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि उनके सरकारी आवास की चारदीवारी के भीतर एक छोटा सा हास्पिटल भी बन गया था। फिर भी जयललिता का ठीक इलाज नहीं हो सका। आखिरकार अपोलो हास्पिटल में इस बार जब जयललिता भर्ती हुईं तो तमिलनाडु के लिए मनहूस भरी खबर आई।
क्या थी सेहत खराब होने की असली वजह
सितंबर 2014 को जब बेंगलूर की अदालत ने जयललिता को चार साल की कैद की सजा सुनाई तो उन्हे 18 साल पुराने करप्शन के मामले में जेल में जाना पड़ा। इससे जयललिता का न केवल छवि खराब हुई बल्कि उनकी दिनचर्या के अनुशासन का सिलसिला भी टूट गया।आपको बता दें कि शुगर के पेशेंट्स के लिए अनुशासित दिनचर्या बहुत मायने रखती है। जेल से छूटने के बाद आठ महीने तक जयललिता की रुटीन पटरी पर नहीं आ सकी। शुगर बढ़ने लगा। दिन-रात डॉक्टरों की टीम लगने के बाद भी खानपान सुचारू नहीं हो सका। इसका नतीजा ये हुई कि उनकी सेहत गिरती रही। जेल से छूटने के बाद जयललिता ने भले ही दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ली मगर, पूरा काम मुख्य सचिव शीला बालकृष्णन को दे रखा था।
जब बीमारी के कारण जयललिता ने निरस्त की रैली
जब लोकसभा चुनाव हो रहे थे तो जयललिता सेंट जार्ज इलाके में रैली संबोधित करने जा रहीं थीं। अचानक गाड़ी में तबीयत बिगड़ गई और ड्राइवर को तुरंत गाड़ी को घर की तरफ मोड़ने को कहा। उस समय तबीयत खराब होने पर रैली को निरस्त कर दिया था।
जेल की टेंशन में जयललिता ने डॉक्टरों से मिलने इनकार कर दिया
जब बेंगलूर की अदालत ने जयललिता को कैद की सजा सुनाई थी तो उन्होंने अपनी सेहत की निगरानी के लिए रखे चिकित्सकों से ही मिलने से मना कर रखा था। जेल से छूटने के बाद भी कुछ दिनों तक खुद को एकांत में कैद कर लिया था। वजह कि उन्हें जेल जाने से तमिलनाडु की जनता के बीच अपनी मानहानि का सदमा लगा था।
क्या हुआ था 22 सितंबर को
22 सितंबर की बात है। शुगर बढ़ने पर अचानक जयललिता को घर पर चक्कर आ गया। वह सीढ़ियों से फिसलकर गिर गईं थीं। जिससे उन्हें काफी चोट आई थी। मगर यह मामला दबा दिया गया था। इस बीच अपोलो हास्पिटल में नॉर्मल तबीयत खराब होने की बात कहकर उन्हें भर्ती कराया गया। स्टेराइड्स देकर 24 घंटे के बीच सेहत में कुछ सुधार लाया गया। 25 सितंबर को अपोलो ने कहा कि जयललिता की हालत सुधर रही है। हालांकि हकीकत कुछ और थी। मल्टीऑर्गन फेलियर की स्थिति दो महीने पहले ही बन गई थी। जयललिता की आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा था। ऑर्गेन्स भी सही तरीके से रेस्पॉन्स नहीं कर रहे थे। इस बीच पीएम मोदी ने महाराष्ट्र के राज्यपाल विद्यासागर राव को हालचाल लेने के लिए भी भेजा था। उस समय पांच अक्टूबर तक जयललिता अपोलो हास्पिटल में भर्ती रहीं थीं। उसी समय खराब हालत का सबको अंदाजा हो गया था।
खराब सेहत की अफवाह उड़ाने पर 23 पत्रकारों पर मुकदमा
जब सितंबर में जयललिता अपोलो हास्पिटल में भर्ती हुईं थीं तो उनकी सेहत को लेकर तरह-तरह की खबरें उड़ रहीं थीं। जिससे जयललिता के फैंस में बेचैनी बढ़ती थी। इसे देखते हुए शासन ने कुल 23 पत्रकारों को सेहत से जुड़ी खबरों के जरिए अफवाह फैलाने के आरोप में मुकदमा कायम किया था।