तमिलनाडु की मुख्यमंत्री ज॰जयललिता के निधन के बाद प्रदेश की राजनीति मे बहुत बड़ा खाली स्थान रहे गया है। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में सत्तारूढ़ AIADMK में किस तरह का राजनीतिक बदलाव आता है। पेचीदा सवाल यह है कि क्या AIADMK का झुकाव बीजेपी की तरफ बढ़ेगा, या फिर वह राजनीति की शुरूआत नए तरीके से करेंगे।
दरअसल, मोदी सरकार AIADMK को एनडीए में शामिल करने को लेकर बेहद इच्छुक रही है। यहां तक कि तमिलनाडु के विधानसभा चुनाव में भी AIADMK के साथ मिलकर मैदान में उतरने की चर्चा भी थी। लेकिन जयललिता ने बेहद साफगोई और मजबूती से यह प्रस्ताव नकार दिया और बीजेपी को कुछ छोटे दलों के साथ अकेले मैदान में उतरना पड़ा। वैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जयललिता के बेहद अच्छे रिश्ते रहे हैं, लेकिन यह सियासी रिश्ते में तब्दील नहीं हो पाई।
अब समय का फेर देखिए. जे. जयललिता के असामायिक निधन से सारा सियासी समीकरण बिगड़ गया है। खुद AIADMK में जयललिता के कद का कोई नेता नहीं है और उसे इस पार्टी को पक्का अहसास है कि केंद्र के सहयोग के बिना इस शून्य को भरना बेहद मुश्किल है।