न्याय करते समय न्यायाधीशों को दिल भी होना चाहिए: न्यायमूर्ति दवे

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फाइल फोटो।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिल आर दवे ने बुधवार(5 अक्टूबर) कहा कि न्यायाधीशों के पास दिल भी होना चाहिए और उन्हें भावनाएं भी समझनी चाहिए, क्योंकि सिर्फ मस्तिष्क से कभी लोगों को न्याय नहीं मिलेगा।

न्यायमूर्ति दवे ने न्यायमूर्ति पी गोपाल गौडा के विदाई समारोह में कहा कि ‘कोई भी न्यायाधीश ऐसा व्यक्ति होना चाहिए जिनके पास दिल हो। सिर्फ मस्तिष्क से काम नहीं चलेगा। एक न्यायाधीश को इसकी जरूरत होती है और मैं कह सकता हूं कि न्यायमूर्ति गौड़ा ऐसे व्यक्ति हैं जिनके पास दिल है।’

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कर्नाटक के निवासी न्यायमूर्ति गौड़ा 2012 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश बने थे और बुधवार को वह सेवानिवृत्त हो गए। इस विदाई कार्यक्रम का आयोजन सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने किया था। इस मौके पर न्यायमूर्ति गौड़ा ने कहा कि वह अवकाशग्रहण करने के बाद भी गरीबों के लिए काम करते रहेंगे।

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उन्होंने कहा कि ‘‘मैं दूर रहने नहीं जा रहा हूं। मैं निश्चित रूप से लोगों से जुड़े मुद्दे उठाऊंगा और जरूरतमंद की मदद का प्रयास करूंगा, ताकि उन्हें न्याय मिल सके।’’ उन्होंने अपने विदाई भाषण में देश के किसानों के अधिकारों की रक्षा करने की युवा वकीलों से अपील की और कहा कि उनके कारण ही हमारा अस्तित्व है।

गौड़ा ने कहा कि किसान हमारे अन्नदाता हैं और उनकी वजह से इस दुनिया का अस्तित्व है। उनकी कोई मांग नहीं है। वे उत्पादन करते हैं और हमें आपूर्ति करते हैं। वे देश के महान लोग हैं। हमें उनकी रक्षा करनी होगी।

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न्यायमूर्ति गौड़ा ने वकीलों से समाज के निचले तबके और जरूरतमंद लोगों की भी मदद करने की अपील की। इस कार्यक्रम का आयोजन वी के कृष्ण मेनन भवन में दि इंडियन सोसाइटी आफ इंटरनेशनल लॉ आडिटोरियम में हुआ।