मोदी सरकार ने चलाया अपना चरखा जिससे एक साल में खादी और ग्रामीण उत्पादो में बढ़ोतरी 50,000 करोड़ की बिक्री की हैं। खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा एकत्रित डाटा के मुताबिक, गांव में बनने वाले उत्पादों या ग्रामोद्योग ने पिछले आर्थिक साल में 24 प्रतिशत की कमाई हुई है। वहीं, खादी के उत्पादों की बिक्री में 33 प्रतिशत का उछाल आया है। 2015-16 में खादी उत्पादों की बिक्री जहां 1,635 करोड़ रुपये की हुई थी वहीं 2016-17 में यह बढ़कर 2,005 करोड़ रुपये की हो गई। जबकि पूरे केवीआईसी का टर्नओवर ने रोजमर्रा का सामान बनानेवाली देश की कई कंपनियों को पीछे छोड़ दिया। अकेले खादी की बिक्री भी बॉम्बे डाइंग और रेमंड जैसे मशहूर ब्रैंड से मुकाबला कर रही है। खादी की बिक्री बढ़ाने पर सरकार भी खासा जोर दे रही है, लेकिन हैरत की बात यह है कि ग्रामीण उद्योगों में तैयार शहद, साबुन, श्रृंगार के सामान, फर्नीचर और जैविक खाद्य सामग्रियों की मांग में भारी तेजी देखने को मिली है। खास बात यह है कि कई ग्रामीण उद्योगों का संचालन महिलाएं कर रही हैं।
खादी और ग्रामीण उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार ने तो अपनी भूमिका अदा की ही है। ग्राहकों ने भी इस ओर दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी है। यहां तक कि विदेशी ग्राहकों की संख्या भी बढ़ रही है। ब्रैंड एक्सपर्ट हरीश बिजूर कहते हैं, ‘पहले खादी को राजनीति से जुड़े लोग ही तवज्जो देते थे, वह चाहे कुर्ता हो या टोपी। मोदी के ब्रांड अम्बेस्डर बनने के बाद चूंकि अब आम ग्राहक भी प्राकृतिक उत्पाद पसंद करने लगे हैं, इसलिए आयोग की बल्ले-बल्ले हो रही है।’
हालांकि पिछले कुछ वर्षों में उत्पाद की गति धीमी पड़ी है फिर भी पिछले वित्त वर्ष के दौरान, खादी उत्पादन में 31% की बढ़ोतरी हुई और यह 1,396 करोड़ रुपये हो गया, जबकि ग्रामीण उद्योगों में 23% की बढ़ोतरी हुई और यह 41,110 करोड़ रुपये रहा।