सहारनपुर: इस्लाम में औरतों के अधिकार को लेकर देशभर में चल रही चर्चा के बीच गुजरात के मौलाना सलाउद्दीन सैफी के बयान ने नई बहस छेड़ दी है। देवबंदी उलमा ने भी मौलाना सलाउद्दीन के बयान का समर्थन किया है।रविवार को कानपुर में हुए कार्यक्रम में गुजरात के मौलाना सलाउद्दीन ने बयान दिया था कि ‘मर्द के होते औरत का नौकरी करना गलत है।’
दारुल उलूम वक्फ के वरिष्ठ उस्ताद मुफ्ती आरिफ कासमी ने कहा कि अल्लाह ने मर्द और औरत को पैदा करने के बाद दोनों की जिम्मेदारियां अलग-अलग तय की हैं। मर्द की जिम्मेदारी घर से बाहर निकलकर कमाना और औरत की जिम्मेदारी घर चलाना है। उन्होंने कहा कि मर्द के होते हुए औरत का नौकरी करना गलत है। हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि बेहद मजबूरी हो तो औरत पर्दे में रहकर नौकरी कर अपना घर परिवार चला सकती है। मुफ्ती आरिफ ने सोवियत यूनियन के पूर्व अध्यक्ष मिखाइल गोर्वाचोव कि किताब का भी हवाला दिया। अल कुरआन फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं अरबी विद्वान मौलाना नदीमुल वाजदी ने कहा कि इस्लाम में कमाकर घर चलाने की जिम्मेदारी मर्द की है। कहा कि बच्चों की परवरिश मां ही बेहतर कर सकती है। इसलिए औरत का घर के अंदर रहना जरूरी है।