मीरा कुमार ने सुषमा स्वराज को दिया करारा जवाब

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मीरा कुमार
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विपक्ष की राष्ट्रपति उम्मीदवार मीरा कुमार ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने उपर लग रहे सभी आरोपों का जवाब दिया। मीरा ने कहा कि वो गुजरात के साबरमती आश्रम से अपने चुनाव प्रचार की शुरुआत करेंगी। उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव को ‘दलित बनाम दलित’ के नजरिए से देखे जाने की आलोचना करते हुए कहा कि इससे समाज की सोच का पता चलता है। इस दौरान मीरा ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के ‘विडियो अटैक’ का भी जवाब देने के साथ ही ‘बंगला विवाद’ पर भी सफाई पेश की।

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के ‘विडियो अटैक’ का जवाब देते हुए मीरा कुमार ने कहा, ‘उस समय सभी ने अपने-अपने समापन भाषण दिए थे। सभी ने मेरी कार्यशैली की सराहना की थी। किसी ने भी यह आरोप नहीं लगाया था कि मेरा कार्य करने का ढंग पक्षपातपूर्ण था।’ बता दें कि सुषमा हाल ही में एक विडियो जारी करते हुए लोकसभा स्पीकर के तौर पर मीरा कुमार की निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि 6 मिनट के भाषण में मीरा ने उन्हें 60 बार टोका था।

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लोकसभा स्पीकर रहते हुए कथित तौर पर अपने रसूख के दम पर बंगले को स्मारक में तब्दील करने से जुड़े आरोपों का भी मीरा ने जवाब दिया। सभी आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए मीरा ने कहा, ‘ये आरोप बिल्कुल बेबुनियाद हैं। ये हमारी छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से लगाए जा रहे हैं। जहां तक बंगले का सवाल है तो उसे सरकार ने एक सरकारी प्रतिष्ठान को दिया है…सरकारी दफ्तर के लिए दिया है।’ इसके अलावा बंगले का बकाया चुकाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि उसे नियमों के हिसाब से निपटाया जा चुका है। पूरी पारदर्शिता के साथ जनता को सूचित करते हुए उनका निपटारा किया गया है। गौरतलब है कि मीरा पर आरोप लगा था कि उन्होंने 6, कृष्ण मेनन मार्ग पर मिले बंगले को न सिर्फ 25 सालों यानी 2038 तक के लिए आवंटित करा लिया बल्कि उसे बाबू जगजीवन राम के स्मारक के रूप में बदल दिया।

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नीतीश द्वारा एनडीए उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन दिए जाने को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में मीरा ने कहा कि राजनीति में ऐसा होता है, यह कोई नई बात नहीं है। उन्होंने कहा कि चुनाव में समर्थन हासिल करने के लिए निर्वाचक मंडल के सभी सदस्यों को पत्र लिखा है, जिनमें नीतीश भी शामिल हैं।

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राष्ट्रपति चुनाव को जाति के नजरिए से देखे जाने की मीरा ने कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, ‘इसके पहले जब भी राष्ट्रपति चुनाव हुए तो अनेक बार तथाकथित उच्च जाति के प्रत्याशी खड़े हुए, लेकिन उनकी जाति की चर्चा कभी नहीं हुई। मुझे याद नहीं कि कभी जाति की चर्चा हुई हो। जब दलित खड़े होते हैं…जैसे मैं खड़ी हूं, कोविंद जी खड़े हैं…तो चर्चा होती है कि दलित खड़े हैं, बाकी सारे गुण गौण हो जाते हैं। इससे पता चलता है कि आज 2017 में हमारा समाज कैसे सोचता है। मैं चाहूंगी कि अब जाति को गठरी में बांध के जमीन के अंदर बहुत गहरे में गाड़ देना चाहिए। समाज को आगे बढ़ना चाहिए।’