कांग्रेस का अधूरा सपना पूरा करेंगे मोदी, इस्लामिक बैंकिंग की होगी शुरूआत

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इस्लामिक बैंकिंग
प्रतीकात्मक तस्वीर, साभार

मनमोहन सरकार ने देश में इस्लामिक बैंकिंग का ख्वाब देखा था। मोदी सरकार उस सपने को साकार करने का प्लान बना रही है।अब देश में इस्लामिक बैकिंग का दौर शुरू होने वाला है। यह बैंक ब्याज मुक्त बैकिंग व्यवस्था वाले होंगे। मकसद है धार्मिक रुढ़ियों के कारण ब्याज वाली बैकिंग व्यवस्था से दूर रहने वाली कौम को इन बैंकों से जोड़ना। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अपनी 2015-16 की वार्षिक रिपोर्ट में वित्तीय व्यवस्था से दूर रहने वाले तबके को बैकिंग से जोड़ने की बात कही है। आरबीआई का कहन है कि एक बड़ा तबका ब्याज की व्यवस्था वाले प्रोडक्ट्स से दूर रहना चाहता है। लिहाजा सरकार इंटरेस्ट फ्री बैंकिंग प्रॉडक्ट्स लाकर इस तबके को जोड़ना चाहती है। सऊदी अरब के इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक ने भारत में पहली ब्रांच अहमदाबाद में शुरू करने की घोषणा की है।

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दरअसल ब्याज को इस्लाम में गलत माना गया है। साल 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी इस्लामिक बैंकिंग की बात कही थी। केरल स्टेट इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन ने प्राइवेट कंपनियों के साथ मिलकर इस दिशा में कदम बढ़ाया था। केरल सरकार का प्रस्ताव था कि शरीयत बोर्ड यह तय करे कि बैंक प्राप्त हुए धन का निवेश कहां करे और फिर इस निवेश से मिले मुनाफे को जमाकर्ताओं में बांट दिया जाए। लेकिन इसका विरोध हुआ और बात आगे नहीं बढ़ सकी। इस्लामिक बैंकिंग से भारत खास तौर पर खाड़ी और मध्य पूर्व के देशों से अरबों डॉलर का निवेश खींच सकता है। दुनिया में करीब 500 इस्लामिक बैंकों के जरिए सालाना 1000 अरब डॉलर का कारोबार होता है। 2020 तक इसके 4000 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। अगर देश में इस्लामिक बैंकिंग की खिड़की खोली जाती है तो इस विशाल पूंजी का कुछ हिस्सा इधर भी आ सकेगा।

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