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प्रश्नावली पर लोगों की जोरदार प्रतिक्रियाओं को देखते हुए आयोग ने इस पर फीडबैक की अवधि दिसंबर 2016 तक बढ़ा दी थी। जस्टिस चौहान ने कहा, “दिसंबर में केरल हाईकोर्ट के जस्टिस मोहम्मद मुश्ताक ने तीन तलाक की वैधता की जांच का आदेश जारी किया और इसे कानून आयोग को भेजा। जो लोग भी यह आरोप लगा रहे हैं कि यह सरकार के एजेंडे को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है उन्हें समझ लेना चाहिए कि कोर्ट के आदेश के चलते हम मामले की जांच के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
आपको बता दें कि कोर्ट के आदेश में कहा गया था, “आनुभविक जांच से साबित होता है कि भारत में तीन तलाक की जो प्रक्रिया चल रही है वह लगभग सभी मामलों में कुरान की बातों का अनुसरण नहीं करती और इस तरह की प्रक्रिया धर्म के नाम पर चल रही हैं।”
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