कानून आयोग के चेयरपर्सन जस्टिस बीएस चौहान ने कहा है कि समान नागरिक संहिता को लेकर जारी प्रश्नावली पर मुस्लिम संगठनों सहित कई लोगों ने तुरंत दिए जाने वाले तीन तलाक का विरोध किया है। अक्टूबर 2016 में जारी इस प्रश्नावली पर 40 हजार से ज्यादा जवाब आए हैं। जिनकी इस वक़्त जांच की जा रही है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक जस्टिस चौहान ने कहा कि इस बात पर बड़ी सहमति थी कि वर्तमान में तीन तलाक की जो प्रक्रिया चल रही है वह शरियत में जो कहा गया है उसके अनुसार नहीं है। शरियत में समाधान और मध्यस्थता के लिए तीन महीने की इद्दत की अवधि होती है।
बीएस चौहान ने कहा, “हालांकि हमें मिले जवाबों को सूचीबद्ध करना है लेकिन एक बात जो हमने महसूस की है कि ज्यादातर लोग यहां तक कि मुसलमान भी त्वरित तीन तलाक के विरोध में हैं। उनका कहना है कि इद्दत की अवधि होनी चाहिए।”
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