नई दिल्ली : पिछले कुछ सालों से देश के रियल एस्टेट इंडस्ट्री में जो कुछ गड़बड़ियां सामने आई हैं, उसका कारण किसी रेग्युलेटर का नहीं होना है। लेकिन, अब रियल एस्टेट के हालात बदलने वाले हैं क्योंकि 1 मई 2017 से इसका अपना रेग्युलेटर मिलने वाला है। दरअसल, सोमवार से रियल एस्टेट (रेग्युलेशन ऐंड डिवेलपमेंट) ऐक्ट, 2016 पूरे देश में लागू हो जाएगा। हरेक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश को अपना रेग्युलेटरी अथॉरिटी बनाना होगा जो ऐक्ट के मुताबिक नियम-कानून बनाएगी।
हालांकि, अब तक सिर्फ मध्य प्रदेश ने कही स्थाई रेग्युलेटरी अथॉरिटी की स्थापना की है। तीन केंद्रशासित प्रदेशों दिल्ली, अंडमान-निकोबार आइलैंड और चंडीगढ़ ने अंतरिम अथॉरिटी गठित की है। इधर, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात, आंध्र प्रेदश समेत ज्यादातर दूसरे राज्यों ने ऐसा नहीं किया है। यानी, इन राज्यों में कोई नया प्रॉजेक्ट लॉन्च नहीं हो सकता है। इससे रियल एस्टेट सेक्टर को नुकसान पहुंचेगा जो पहले से ही मंदी का सामना कर रहा है।
रेरा में स्पष्ट कहा गया है कि सभी मौजूदा प्रॉजेक्ट्स का रजिस्ट्रेशन संबंधित राज्यों के रेग्युलेटरी अथॉरिटी में जुलाई 2017 तक हो जाना चाहिए। कानून अथॉरिटी में रजिस्ट्रेशन के बिना नया प्रॉजेक्ट शुरू करने से मना करता है। यानी, कोई डिवेलपर तभी किसी प्रॉजेक्ट का रजिस्ट्रेशन करवा सकता है जब नियम नोटिफाइ हो जाएं और अथॉरिटी की नियुक्ती हो जाए। गौरतलब है कि अब तक 6 राज्यों और 6 केंद्रशासित प्रदेशों ने ही नियमों को नोटिफाइ किया है।
कुछ राज्य ने अपने प्रस्तावित कानून पर आम नागरिकों से राय मांगी है। इसी क्रम में हरियाणा में 15 मई के बाद ही नियमों को आखिरी रूप दिया जा सकता है जब आम नागरिक की प्रतिक्रिया मिल जाएगी। आरोप लगाए जा रहे हैं कि राज्य सरकारों ने केंद्रीय रेग्युलेशंज के कुछ प्रावधानों को बदल दिया है। जिन प्रावधानों की बदलाव के आरोप लग रहे हैं उनमें रेरा के तहत जारी परियोजनाओं की परिभाषा भी शामिल है। केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकारों को कहा गया है कि वो केंद्रीय प्रावधानों में बदलाव नहीं करें। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों ने इन प्रावधानों को और कठोर कर दिया है।