नई दिल्ली: देश में तेजी से बदलाव लाने के लिए नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की तीसरी बैठक रविवार को हुई। सूत्रों के मुताबिक, नीति (नैशनल इंस्टिट्यूट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया) आयोग की बैठक में भारत में बदलाव लाने का अगले 15 साल का रोडमैप पेश हुआ। इससे पहले पंचवर्षीय योजनाएं बनी करती थीं। 12वीं पंचवर्षीय योजना 31 मार्च 2017 को खत्म होनेवाली थी, लेकिन मंत्रालयों को अपने कामकाज निपटाने के लिए आखिरी पंचवर्षीय योजना को छह महीने का विस्तार दे दिया गया है। इसकी अवधि पूरे होते ही साथ ही नेहरू के समाजवाद के इस प्रमुख घटक का खात्मा हो जाएगा। नई व्यवस्था में तीन साल का ऐक्शन प्लान बनेगा जो सात वर्षीय स्ट्रैटिजी पेपर और 15 वर्षीय विजन डॉक्युमेंट का हिस्सा होगा। योजना आयोग की जगह लेने वाले नीति आयोग 1 अप्रैल को तीन वर्षीय ऐक्शन प्लान लॉन्च चुका है।
क्या थी पंचवर्षीय योजना?
पंचवर्षीय योजना में केंद्र सरकार का आर्थिक और सामाजिक विकास कार्यक्रम शामिल होता था। तत्कालीन यूएसएसआर के प्रेजिडेंट जोसफ स्टालिन ने पहली पंचवर्षीय योजना की शुरुआत साल 1920 में की थी। 1947 में मिलने के बाद भारत ने भी समाजवाद का रास्ता अख्तियार किया, लेकिन देश में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र, दोनों की मौजूदगी की वजह से यहां यूएसएसआर की तरह व्यापक योजना लागू करना मुश्किल था। इसलिए, यहां सिर्फ पब्लिक सेक्टर के लिए योजनाएं बनाई जाने लगीं। साल 1951 में पहली पंचवर्षीय योजना अस्तित्व में आई। इसके पीछे का मकसद सरकारी धन को समानुपाती विकास पर खर्च करने का था।
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