आठ नवंबर को 500 और 1000 रुपये के नोटों को वापस लेने के ऐलान के बाद से घरेलू हिंसा के मामलों में अचानक से वृद्धि देखने को मिल रही है। भोपाल में देश के पहले वन स्टाप क्राइसिस सेन्टर के अनुसार जब पतियों को पता चला कि उनकी पत्नियों ने बिना उन्हें बताए पैसे छुपाकर रखे तो वे नाराज हो गए। गौरवी – वन स्टाप क्राइसिस सेन्टर की अध्यक्ष सारिका सिन्हा ने बताया, ”पतियों ने पत्नियों को धमकाया, पीटा और जेल जैसे अंजाम भुगतने को लेकर भी डराया। क्योंकि उन्हें लगा कि उनका नियंत्रण समाप्त हो गई है। पत्नियां पहले भी पैसे बचाया करती थी लेकिन यह कभी सामने नहीं आया। अचानक (नोटबंदी के फैसले से) वे पतियों के सामने वे अपराधी बन गईं। नवंबर में इस सेंटर के टॉल फ्री नंबर पर 1200 कॉल आए जबकि इससे पहले यहां हर महीने 500 कॉल आया करते थे। 1200 कॉल में से 230 को काउंसलिंग की जरुरत पड़ी।
सेंटर की कॉर्डिनेटर शिवानी सैनी ने एक 27 साल की महिला के केस का उदाहरण देते हुए बताया कि नौ नवंबर को जब उसके पति को पता चला कि उसके पास 4500 रुपये हैं तो उसने सात बच्चों सहित उसे घर से बाहर निकाल दिया। सैनी के अनुसार, ”पीडि़ता और उसके पति की काउंसलिंग की गई। उसने हमें सुना लेकिन दिमाग नहीं बदला। वह (पत्नी) अभी भी अपनी मां के घर है। पति उसे पहले भी प्रताडि़त किया करता था लेकिन कभी भी घर से बाहर निकालने जैसी हद तक नहीं गया।” उन्होंने बताया कि एक अन्य मामले में व्यक्ति ने पत्नी को डराया और उसके 10 हजार में से आठ हजार रुपये मांगे। उसने कहा कि अवैध रूप से पैसे रखने पर उसे जेल हो सकती है। कुछ मामलों में पतियों ने अपनी रोजाना की कमाई को कम कर दिया।