मोदी और सुरेश प्रभु की महत्वाकांक्षी ट्रेन ‘तेजस’ से पहली बार सफर करने के बाद बहुत सारे यात्रियों ने हेडफोन वापस लौटाना उचित नहीं समझा। हेडफोन की इस ‘चोरी’ का असर बुधवार को ट्रेन के गोवा से मुंबई के सफर पर नजर आया। बहुत सारे यात्रियों ने शिकायत की कि उन्हें एलईडी स्क्रीन पर कार्यक्रम का आनंद उठाने के लिए हेडफोन नहीं मिले। बता दें कि ट्रेन की शुरुआत होने से पहले ही इसके शीशों को नुकसान पहुंचाने की बात सामने आ चुकी है।
रेलवे के एक सीनियर अफसर ने मीडिया से बातचीत में बताया कि ट्रेन के सोमवार के सफर के बाद ‘कम से कम एक दर्जन’ हेडफोन नहीं मिले। उन्होंने बताया कि बहुत सारी एलईडी स्क्रीन्स पर स्क्रैच नजर आए। अधिकारी ने बताया, ‘सफर की शुरुआत में ही हेडफोन बांटे गए थे। उन्हें वापस करने का ऐलान नहीं किया गया था क्योंकि हमें उम्मीद थी कि यात्री इसे नहीं ले जाएंगे। ठीक उसी तरह से जैसे वे अपने साथ तकिया या कंबल नहीं ले जाते।’ जब एक हेडफोन की कीमत के बारे में पूछा गया तो अफसर ने बताया कि वे ज्यादा महंगे नहीं थे।
सेंट्रल रेलवे के चीफ पब्लिक रिलेशंस ऑफिसर नरेंद्र पाटिल ने इस बात की पुष्टि की कि सोमवार की यात्रा के बाद कुछ हेडफोन गायब हुए हैं। वहीं, बुधवार को इस ट्रेन से मुंबई का सफर करने वाले एक सीनियर सिटिजन ने बताया कि कई बार याद दिलाने के बावजूद ट्रेन स्टाफ ने उन्हें हेडफोन नहीं दिया। 62 साल के महेंद्र अपनी पत्नी के साथ सफर कर रहे थे। उन्होंने कहा, ‘मैं स्क्रीन पर कुछ देखना चाहता था, लेकिन मुझे हेडफोन मिला ही नहीं।’ वहीं, कुछ यात्रियों ने शिकायत की कि ट्रेन का वाईफाई एक्टिव नहीं था। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यह कोई बहुत बड़ी समस्या नहीं है। ये शुरुआती दिक्कतें हैं जो कुछ दिन में खत्म हो जाएंगी। अधिकारी ने कहा, ‘हमें उस ट्रेन का जश्न मनाना चाहिए, जो भारत में सफर करने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाया है।’