राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमें अपरिचित विचारों के लिए अपनी आंखें खुली रखनी चाहिए और विभिन्न निष्कर्षों या पूर्वानुमानों पर विचार करने के लिए तैयार रहना चाहिए।” मुखर्जी ने कहा कि देश में समय-समय पर ऐसी ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण प्रवृतियां” रही हैं कि अतीत या वर्तमान में हमारी सामाजिक या सांस्कृतिक संस्थाओं के प्रतिकूल माने जाने वाले विचारों की अभिव्यक्ति को अपमान समझा जाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि इसी तरह, अतीत के वीरों और राष्ट्रीय स्तर की हस्तियों की आलोचनात्मक सराहना के प्रति भी दुर्भावना देखने को मिली है और कभी-कभी तो इस पर हिंसा भी हुई है।