दिल्ली में एक ऐसा अस्पताल है जहां पूर्व प्रधानमंत्रियों के सीट्स भी बुक हैं और स्टाफ़ भी बुक हैं। भले ही पूर्व प्रधानमंत्री कभी इस अस्पताल की तरफ़ कभी झांकने भी ना आते हो, भले ही यहां के डॉक्टर्स कई कई साल तक खाली बैठे हो, लेकिन ये किसी आम आदमी या किसी जरूरतमंद का इलाज कभी नहीं करते। वीआईपी कल्चर की इससे बड़ी विडम्बना और क्या हो सकती है, कि एक आम मरीज भले ही इलाज के आभाव में दम तोड़ दे, लेकिन डॉक्टर तभी इलाज करेंगे, जब कोई पूर्वप्रधानमंत्री मरीज बनकर आए।दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एक सेल पूर्व प्रधानमंत्री के लिए रिजर्व है। भले ही 20 सालों से यहां कोई पूर्व प्रधानमंत्री इलाज कराने नहीं आया, लेकिन डॉक्टर समेत मेडिकल टीम 24 घंटे यहां तैनात रहती है। पूर्व पीएम सेल में तैनात टीम किसी दूसरे मरीज का इलाज नहीं कर सकती, न ही साथी डॉक्टरों की चाहकर भी कोई मदद कर सकती है। पूर्व प्रधानमंत्री अपने इलाज के लिए RMLH के बजाय AIIMS को तरजीह देते हैं।
दिल्ली इन दिनों डेंगी-चिकनगुनिया जैसी खतरनाक बीमारियों की मार झेल रही है। अस्पतालों को जगह की कमी की समस्या से जूझना पड़ रहा है, अतिरिक्त बिस्तरों की व्यवस्था की जा रही है। डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की छुट्टियां रद्द करनी पड़ रही है, लेकिन एक बड़े अस्पताल में वीआईपी सेल रिजर्व है।
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