कश्मीर में बैठक कर मोदी सरकार को चुनौती देगा RSS, सुरक्षा होगी बड़ी चुनौती

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फाइल फोटो।

राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ(RSS) पहली बार कश्मीर में अपना अखिल भारतीय प्रचारक सम्मेलन करने जा रहा है। यह सम्मेलन 18 जुलाई से 20 जुलाई तक चलने वाला है जिसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भगवत समेत संघ के कई प्रमुख नेता हिस्सा लेने वाले हैं। खबर है कि बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी इसमें शामिल हो सकते हैंं। माना जा रहा है कि संघ ने ये फैसला केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को संकेत है कि कश्मीर में हालात जल्द सामान्य होने चाहिए।

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जम्मू-कश्मीर में पिछले एक साल में विरोध प्रदर्शनों, पत्थरबाजी, सीमापार गोलीबारी और घुसपैठ के अलावा आतंकी हमलों की कई वारदातें हो चुकी हैं। ऐसे में कश्मीर में संघ के प्रमुख नेताओं और कार्यकर्ताओं के जुटने पर उनकी सुरक्षा सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी।

 

 

द एशियन एज की रिपोर्ट के अनुसार सुरक्षा चिंताओं को जाहिर किए जाने के बावजूद संघ ने ये फैसला लिया है। एक वरिष्ठ संघ नेता ने एशियन एज से कहा कि संघ ने ये फैसला इस साल की शुरुआत में ही ले लिया था।
जम्मू-कश्मीर में पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की गठबंधन वाली सरकार है। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती राज्य की मुख्यमंत्री हैं और भाजपा के निर्मल सिंह राज्य के उप-मुख्यमंत्री हैं। जम्मू-कश्मीर की 87 विधान सभा सीटों में से 28 पर पीडीपी और 25 पर भाजपा के विधायक हैं।

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आंतकी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी की एक मुठभेड़ में मौत के बाद घाटी में हिंसा का सिलसिला शुरू हो गया जो अब तक पूरी तरह नहीं थमा है। पिछले महीने कश्मीर में हुए विधान सभा उपचुनाव के दौरान बहुत ही कम मतदान हुआ और हिंसा की विभिन्न वारदातों में करीब आधा दर्जन लोग मारे गए। पिछले कुछ महीनों में पहली बार स्कूली छात्र-छात्राओं ने सुरक्षा बलों और पुलिस पर पत्थरबाजी की।

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