पढ़िए किस चमत्कार ने मदर टेरेसा को बना दिया संत

0
चमत्कार

दुनिया भर के लोगों में प्यार बांटने वाली मदर टेरेसा आज से संत कहलाएंगी। गरीबों और बेसहारा लोगों के लिए जीवन समर्पित करने वालीं मदर टेरेसा को आज वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस ने संत घोषित कर दिया। मदर टेरेसा को आधिकारिक तौर पर संत बनाने के लिए जरूरी था कि उन्होंने कुछ चमत्कार किए हों। नेशनल कैथोलिक रजिस्टर के अनुसार, पहला चमत्कार भारत के पश्चिम बंगाल में हुआ और इसमें मोनिका बेसरा नामक एक भारतीय महिला स्वस्थ हो गई। मोनिका को पेट में ट्यूमर था। यह इतना अधिक था कि डॉक्टरों ने उसके बचने की उम्मीद छोड़ दी थी।

इसे भी पढ़िए-मदर टेरेसा आज से संत कहलाएंगी, पोप ने दी उपाधि

‘मिशनरीज ऑफ चैरिटी में उपचार के दौरान भी उनकी सेहत गिरती रही। उन्हें ट्यूमर के कारण इतना अधिक दर्द था कि वह सो भी नहीं पाती थी। मदर टेरेसा के गुजरने के बाद, वहां मौजूद सिस्टर्स ने मदर के शरीर से छुआए गए एक ‘चमत्कारी मेडल’ को मोनिका के पेट से स्पर्श कराया। पीड़ा से कराह रही महिला सो गई और जब वह उठी तो उसका दर्द जा चुका था। तब डॉक्टरों ने उसकी जांच की और पाया कि ट्यूमर पूरी तरह से गायब हो चुका था।

इसे भी पढ़िए :  आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में TOP पर भारत

इसे भी पढ़िए-मोदी ने चीन को चेताया, कहा –भावनाओं को समझो और आतंकवाद पर राजनीति ना करो

साल2003 में हुए इस चमत्कार को लेकर फैली खबरों को गलत बताते हुए द न्यूयार्क टाइम्स ने डॉक्टर रंजन मुस्तफी के हवाले से कुछ जानकारी दी थी। मोनिका का इलाज करने का दावा करने वाले इस डॉक्टर ने कहा था कि उन्होंने कुछ दवाएं बताई थीं, जिन्होंने ट्यूमर को गायब कर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि यह तपेदिक के कारण हुई एक गांठ थी, न कि कैंसर का ट्यूमर। उन्होंने कहा कि वैटिकन का दल भारत आया और उसने मोनिका की बात को प्रमाणित कर दिया। कभी भी मुझसे संपर्क नहीं किया।

इसे भी पढ़िए :  ‘चप्पलमार सांसद’ के समर्थन में आई शिवसेना, संसद में पूछा –कपिल पर क्यों नहीं हुई कार्यवाई

इसे भी पढ़िए-भारत ने उठाया चीन की कमजोरी का फ़ायद, चित्त हुआ चीन, मालदीव बना मोहरा

नेशनल कैथोलिक रजिस्टर के अनुसार, चिकित्सा विशेषज्ञों के एक दल ने कथित चमत्कार का अध्ययन करने के लिए ‘कॉन्ग्रेगेशन फॉर द कॉजेज ऑफ सेंट्स’ के साथ काम किया। रिकॉडों का आकलन और इलाज में शामिल रहे चिकित्सा कर्मचारियों से पूछताछ करने के बाद, समिति ने यह तय किया कि महिला का स्वस्थ होना, चिकित्सीय रूप से संभव नहीं था। पोप जॉन पॉल ने टेरेसा के निधन के महज पांच साल बाद 20 दिसंबर 2002 को इसे चमत्कार के रूप में मंजूरी दे दी थी।लेकिन 2003 में न्यूयार्क टाइम्स से बातचीत करते हुए मोनिका के चिकित्सक मुस्तफी ने कहा था कि यह कोई चमत्कार नहीं था। उसने नौ माह से एक साल तक दवाएं ली थीं। नेशनल कैथोलिक रजिस्टर के अनुसार, दूसरा चमत्कार दिसंबर 2008 में ब्राजील में हुआ। ब्राजील के सांतोस के 42 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियर मार्सीलियो हेडाड एंड्रिनो को मस्तिष्क में बैक्टीरिया का संक्रमण हो गया था। इसके कारण मस्तिष्क में एक बड़ा फोड़ा हो गया था और सिर में भारी दर्द उठता था। मदर टेरेसा के आशीर्वाद से एंड्रिनो को भी आराम हुआ था।

इसे भी पढ़िए :  पासपोर्ट बनवाने वालो के लिए अच्छी खबर- पिता या पति का नाम छापना जरूरी नही