सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले में छात्रों की ओर से दायर सभी याचिकाएं खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने राहत देने से इनकार करते हुए सामूहिक नकल के दोषी छात्रों के दाखिले रद्द कर दिए हैं। इस मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भी पहले ऐसा ही आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में नकल के दोषी पाए गए 634 छात्रों के भविष्य के फैसला करने की अपील की गई थी। इससे पहले उच्चतम न्यायालय की दो जजों के इस मामले में अलग-अलग फैसले देने के बाद याचिका को तीन जजों की बेंच को भेजा गया था।
पिछले साल सुनवाई के बाद जस्टिस जे चेलेश्वर ने कहा था कि इन छात्रों के एडमिशन कैंसल करके इन्हें ‘यूजलेस’ बना देना सही नहीं होगा। बड़े लोकहित में उनको डॉक्टर बन जाने के बाद देश की पांच साल तक सेवा करने की जरूरत है। अच्छा हो कि आर्मी में।
बेंच के अन्य जज जस्टिस अभय एम सप्रे ने माना कि इन 634 स्टूडेंट्स को उनकी एजुकेशन पूरी करने देने का मतलब है कि मेधावी छात्रों की कीमत पर गलत तौर तरीके अपनाने में शामिल लोगों को सहूलियत देना। जजों में एकराय न होने की वजह से अब यह मामला चीफ जस्टिस के सामने रखा जाएगा ताकि वे बड़ी बेंच बनाकर कैंडिडेट्स की किस्मत का फैसला कर सकें।