नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार(11 जनवरी) को राजनीतिक दलों के चंदे पर बने कानून को रद्द करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका को खारिज कर किया। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ये सरकार का नीतिगत मामला है और इससे किसी संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं होता।
मुख्य न्यायाधीश जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि राजनैतिक पार्टियों को आयकर से छूट देना सरकार की कार्यकारी कार्रवाई है और इससे संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं होता और न ही इससे आयकर या जनप्रतिनिधित्व कानून के किसी प्रावधान का हनन होता है। अदालत ने कहा कि इसमें सुप्रीम कोर्ट दखल नहीं दे सकता।
याचिकाकर्ता वकील एम एल शर्मा ने शीर्ष पीठ के समक्ष अपनी दलील रखते हुए जनप्रतिनिधि कानून के उस प्रावधान का विरोध किया, जिसमें राजनीतिक दलों को पहली बार 1989 में जोड़ा गया था। याचिका में राजनीतिक पार्टियों के चंदे की कोर्ट की निगरानी में एसआईटी या सीबीआई से एफआईआर कर जांच कराने और कानूनी कार्रवाई के निर्देश देने की मांग की गई थी।