शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अश्विनी उपाध्याय की देशभर में शराबबंदी की मांग करने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया। जस्टिस अर्जन कुमार सीकरी और जस्टिस एनवी रमना की खंडपीठ ने इस याचिका में कोई मेरिट नहीं पाया और इस याचिका को खारिज कर दिया । बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने 12 सितंबर को जनहित याचिका दायर की थी।
दायर की गई याचिका में अश्विनी उपाध्याय ने खुद अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि शराब की खपत राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है। जिसके लिए राज्य लोगों की जान माल की सुरक्षा और उनके स्वास्थ्य में सुधार के लिए संवैधानिक रुप से जिम्मेदार है । उन्होंने यह भी कहा शराब और इनटॉक्सिकेटिंग ड्रिंक्स का इस्तेमाल वहीं हो जहां इसकी जरुरत चिकित्सकीय इस्तेमाल के लिए जरूरत हो अन्यथा इसे पूरे तरीके से बैन कर दिया जाए ।
याचिका में भाजपा नेता ने शराब का चिकित्सा प्रयोजनों में इस्तेमाल पर और शराब, इनटॉक्सिकेटिंग ड्रिंक्स और ड्रग्स की बिक्री पर भी पूरी तरह से प्रतिबंध की मांग की थी। साथ ही यह भी मांग की थी कि राज्यों को ये निर्देश दिया जाए कि इसके खिलाफ स्कूलों के सिलेबस के जरिये छात्रों में जागरुकता बढ़ायी जाए और महीने का एक दिन हेल्थ डे के रुप में मनाया जाए ।
याचिका में कहा गया था कि गुजरात और बिहार जैसे राज्यों ने पूर्ण शराबबंदी लागू कर रखी है जहां अपराध की दर घट रही है लिहाजा इसे हर राज्य में लागू करने की जरुरत है । याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से परमादेश देने को कहा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया ।