श्रीनगर/नई दिल्ली : एम्स के जयप्रकाश नारायण एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में शोपियां की 15 साल की एक बच्ची इंशा मलिक की आंखों का इलाज चल रहा है।वह अनजाने में सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हो रहे संघर्ष का शिकार हो गई। डॉक्टर उसकी आंखों का इलाज कर रहे हैं लेकिन आंखों की रोशनी वापस आने की संभावना कम ही है।
एम्स में सीनियर न्यूरॉसर्जन दीपक अग्रवाल ने कहा कि पेलेट गन के हमलों से इंशा एक हद तक अंधी हो चुकी है। अब कॉर्निया ट्रांसप्लांट से भी उसकी आंखें ठीक नहीं हो सकतीं। पेलेट गन के छर्रों की चोट लगने से उसके माथे और सिर में भी निशान बन गये हैं। माथे पर एक सिक्के के बराबर घाव हो गया है जिसमें संक्रमण का खतरा है। हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि उसकी जिंदगी पर कोई खतरा नहीं है। गुरुवार को उसके भौंह और नाक के बीच वाले हिस्से की सर्जरी की जाएगी।

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी बुधवार दोपहर को एम्स में कश्मीर में पेलेट गन से घायल हुए लोगों से मिलने एम्स गये थे। इंशा के पिता मुश्ताक अहमद ने राहुल को अपनी कहानी बताते हुए कहा, ‘मेरी बेटी प्रदर्शन में नहीं शामिल थी। वह घर पर अपने छोटे भाइयों के साथ खेल रही थी तभी उसने बाहर कुछ शोर सुना वह भागकर घर के अंदर गयी और खिड़की के पास खड़ी होकर बाहर देखने लगी। पेलेट गन से निकले छर्रे उसके माथे और चहरे में धंस गये।’
इंशा अपने तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी है। आंखों पर पट्टी बांधे बिस्तर पर लेटी इंशा अपनी हालत पर ध्यान न देकर पिता को होने वाली मुश्किलों के कम होने की दुआ मांग रही है। उसने अपनी मां के बारे में भी पूछा जो घर पर दो और बच्चों की देख-भाल कर रही है। मुश्ताक कहते हैं कि उन्हें और कोई मदद नहीं चाहिए। उन्होंने कहा, ‘डॉक्टर उसका ठीक से ख्याल रख रहे हैं। बस मैं यही दुआ करता हूं कि वह किसी तरह से ठीक हो जाए। उसे इस हालत में देखना बहुत दुख देता है।’

इंशा के अलावा चार और युवा एम्स के राजेंद्र प्रसाद आई सेंटर में अपना इलाज करा रहे हैं। वहां के एक डॉक्टर ने कहा कि ये सभी पेलेट गन से घायल हुए हैं। इनमें से सभी की उम्र 14 से 16 साल के बीच है। उन्होंने कहा, ‘हमने एक पेशंट का ऑपरेशन किया है जबकि बाकी सभी मरीजों की अभी देख-रेख की जा रही है।’
गौरतलब है कि लंबे समय से पेलेट गन पर बहस चल रही है। 8 जुलाई को आतंकी बुरहान वनी की मौत के बाद कश्मीर में हुए प्रदर्शन के बाद इस पर फिर से प्रतिबंध लगाने की मांगे तेज हो गयीं। घाटी में पेलेट गन से घायल होने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोत्तरी को देखते हुए कई विशेषज्ञों का कहना है कि सुरक्षाबलों को भीड़ को शांत करने के लिए आंसू गैस या मिर्च पाउडर का छिड़काव करने का तरीका अपनाना चाहिए। हालांकि देश का एक बड़ा वर्ग इस पेलेट गन के पक्ष में है।