वॉट्सऐप और फ़ेसबुक पर लगाम लगाने की तैयारी में मोदी सरकार

0
वॉट्सऐप
Prev1 of 2
Use your ← → (arrow) keys to browse

नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में जानकारी दी कि वह जल्द ही वॉट्सऐप, फेसबुक, स्काइप, वीचैट और गूगल टॉक जैसी सर्विसेज को रेग्युलेट करने के लिए नियम-कायदे बनाने जा रही है। ये नियम वैसे ही होंगे, जैसा कि टेलिकॉम ऑपरेटर्स के लिए होते हैं। बता दें कि डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम की ओर से दलील दी गई थी कि ये सोशल नेटवर्क कस्टमर्स तक पहुंचने के लिए टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स के नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं, ऐप आधारित सेवाएं देते हैं और मेसेज व फोन करने की सुविधा देकर प्रतिस्पर्धा भी पैदा करते हैं। इसके बावजूद इनके नियंत्रण और नियमन के लिए कोई नियम-कानून नहीं है।

बता दें कि इन ऑनलाइन सेवाओं को ओवर द टॉप (OTT) सर्विसेज भी कहते हैं। ओटीटी सर्विस का मतलब यह है कि इंटरनेट के जरिए ऑडियो, वीडियो और अन्य मीडिया कॉन्टेंट ग्राहकों को उपलब्ध तो कराया जाए लेकिन इसके लिए कई अन्य सिस्टम मसलन-केबल, सैटलाइट, टेलिविजन आदि की जरूरत न पड़े।

इसे भी पढ़िए :  कश्मीर के हालात पर गृहमंत्री ने फिर की उच्च स्तरीय बैठक

केंद्र सरकार का यह रुख ऐसे वक्त में सामने आया है, जिसके पहले वॉट्सऐप ने एक याचिका के विरोध में अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट को सौंपा था। याचिकाकर्ता कर्मण्य सिंह सरीन ने वॉट्सऐप की प्राईवेसी पॉलिसी पर सवाल उठाए थे। इसके जवाब में वॉट्सऐप ने कहा था, ‘ओटीटी सर्विसेज कुछ हद तक इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी एक्ट 2000 के प्रावधान के तहत नियंत्रित होती हैं और इन पर वही नियम-कायदे लागू नहीं होते जोकि पारंपरिक वॉयस और मेसेजिंग सर्विस उपलब्ध कराने वाले टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स पर होता है।’ओटीटी सर्विसेज की प्रिवेसी पॉलिसी पर याचिकाकर्ता की ओर से कड़े सवाल उठाने और बाद में केंद्र सरकार के भी इससे सहमत नजर आने के बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस मामले को पांच सदस्यीय संविधान पीठ को भेज दिया है। हालांकि, ओटीटी सर्विस प्रोवाइडर्स इस कदम का विरोध कर रहे थे। कोर्ट ने पांच सदस्यीय बेंच के सामने इस मामले की सुनवाई की तारीख 18 अप्रैल तय की है।

इसे भी पढ़िए :  मां से मिलने गांव पहुंचे पीएम मोदी, आशीर्वाद लिया और फिर चले गए...

वॉट्सऐप और अन्य ओटीटी सर्विसेज की ओर से कोर्ट में पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और केके वेणुगोपाल ने कहा कि पूरे विवाद में प्रिवेसी का कोई मुद्दा ही नहीं है जैसा कि याचिकाकर्ता का दावा है। वकीलों के मुताबिक, यह यूजर और ओटीटी सर्विस प्रोवाइडर्स के बीच कॉन्ट्रैक्ट का मामला है।

इसे भी पढ़िए :  स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम कर सकते है इन चार चींजों का जिक्र

हालांकि, याचिकाकर्ता के वकील माधवी दीवान ने कहा कि वॉट्सऐप पर निजी संदेशों के मामले में निजता की कमी निजता का हनन है। याचिकाकर्ता के मुताबिक, यह मूल रूप से संविधान के आर्टिकल 21 के तहत राइट टु लाइफ से जुड़ा हुआ मामला है। इसके अलावा, दो लोगों के बीच बातचीत के दौरान गोपनीयता की कमी आर्टिकल (19)(a) के तहत मिलने वाली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन भी है। सिब्बल ने इस पर यह दलील दी कि प्रिवेसी के उल्लंघन का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि वॉट्सऐप पर एंड टु एंड इनक्रिप्शन तकनीक का इस्तेमाल होता है, ताकि कोई दूसरा इन संदेशों को न पढ़ सके।

अगले पेज पर पढ़िए- फेसबुक-वॉट्सऐप पर डेटा सुरक्षित नहीं है

Prev1 of 2
Use your ← → (arrow) keys to browse