राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, ‘दोनों पक्ष मिलकर सुलझायें मुद्दा’

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स्वामी ने कहा, “उन्हें सऊदी अरब के मौलवियों ने बताया है कि जरूरत पड़ने पर मस्जिद गिराए जाते रहे हैं। इन्हें दोबारा से दूसरी जगह बनवाया जा सकता है। मस्जिद एक नमाज पढ़ने की जगह है और नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है। हम मस्जिद बनवाने के लिए तैयार हैं, लेकिन इसका निर्माण सरयू नदी के दूसरी ओर या उनके मनमुताबिक किसी भी दूसरी उपयुक्त जगह पर हो। यह इलाका राम जन्मभूमि है, जहां राम मंदिर होना चाहिए। हम बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन ऐसा जुडिशरी की देखरेख में हो।”

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राम मंदिर विवाद काफी पहले से चल रहा है। 6 दिसंबर 1992 को एक राजनीतिक रैली के बाद कारसेवकों ने विवादित इलाके पर बनी बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था।

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30 सितंबर 2010 को इलाहबाद कोर्ट ने भी इस मामले पर सुनावाई की थी। उनकी तरफ से फैसला करके 2.77 एकड़ की उस जमीन का बंटवारा कर दिया गया था। जिसमें जमीन को तीन हिस्सों में बांटा गया था। जिसमें ने एक हिस्सा हिंदू महासभा को दिया गया जिसमें राम मंदिर बनना था। दूसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को और तीसरा निरमोही अखाड़े वालों को। लेकिन फिर 9 मई को इलाहबाद हाई कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया था

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