शशिकला : एक फैसले के कई इफ़ेक्ट्स

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शशिकला

पिछले कई दिनों से तमिलनाडु में चल रही सियासी धुंध अब छंटने लगी है। शशिकला और पन्नीरसेल्वम के बीच सीएम की कुर्सी को लेकर खींचतान के बीच शशिकला को सुप्रीम कोर्ट ने चार साल की सजा सुना दी है। छ महीने की जेल वो पहले ही काट चुकी हैं अब साढ़े तीन साल उन्हे और जेल में रहना होगा। मतलब साफ़ है कि शशिकला अब किसी भी कीमत पर तमिलनाडु के सीएम पद की दावेदार नहीं रह जाएंगी। इतना ही नहीं अगले छ साल तक वो चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगी। जो लोग इस फैसले को लेकर शशिकला की तरफ़ से अभी भी कानून से उम्मीद लगाए बैठे हैं उन्हे ये बात जान लेनी चाहिए कि शशिकला अब इस मामले को लेकर अब लार्जर बेंच के पास भी नहीं जा सकेंगी। इसकी वजह ये है कि सुप्रीमकोर्ट के दो सदस्यीय बेंच ने एक मत से ये फैसला सुनाया है। लार्जर बेंच के पास जाने का मौका तब मिलता जब ये फैसले एक मत से नहीं आता।

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ये कहना तो अतिशयोक्ति होगी कि शशिकला को शायद इसी दिन का इंतजार था। इसलिए ये कह लीजिए कि वो जानती थीं कि सुप्रीम कोर्ट फैसले उनके खिलाफ़ आ सकता है। इसी वजह से पन्नीरसेल्वम के इस्तीफ़ा देने के बाद भी वो मुख्यमंत्री पद पर आसीन नहीं हुई थी। शशिकला सुप्रीमकोर्ट के फैसले का इंतजार करती रहीं और इस बीच पन्नीरसेल्वम ने खुद को तमिलनाडु की राजनीति में और मजबूत स्थिति में पहुंचा लिया। इतनी मजबूत स्थिति में करीब दस सांसदों तक को अपने खेमे में मिला लिया। पन्नीरसेल्वम जानते थे सीएम पद के उनकी राह में सिर्फ़ एक ही कांटा है जिसका नाम है शशिकला। अगर अशिकला साफ़ तो सीएम पद का रास्ता साफ़। हालांकि ये कहना अभी जल्दबाजी होगी कि शशिकला के जेल जाने के बाद पन्नीरसेल्वम ही मुख्यमंत्री बनेंगे। इसमें अभी थोड़ा वक्त लग सकता है।

आपको याद होगा कि जयलिलता के निधन के कुछ दिन बाद ही शशिकला पार्टी की महासचिव बनी थीं। उन्हें सीएम बनाने के लिए ओ पनीरसेल्वम ने ही प्रस्ताव रखा और सीएम के पोस्ट से खुद इस्तीफ़ा दे दिया था। हालांकि बाद में सूबे में सियासी घमासान के बीच पन्नीकरसेल्व म अपने समर्थक धड़े के साथ उनके विरोध में आ गए। उन्होने कहा कि उन पर दबाव डाल कर इस्तीफ़ा दिलवाया गया था।

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मुख्यमंत्री बनने की राह में शशिकला की के सामने पन्नीरसेल्वम के अलागा एक मुश्किल और भी थी, वो थी खुद उनकी छवि। याद कीजिए जयललिता से मुलाकात के बाद शशिकला ने पार्टी में तेजी से अपना प्रभाव जमाया। जयललिता की गैरहाजिरी में पूरे तमिलनाडु में शशिकला की ही तूती बोलती थी। लेकिन जयललिता यानी अम्मा ने कभी भी शशिकला यानी चिनम्मा को राजनीति के करीब जाने नहीं दिया। अपने निधन से ठीक पहले भी जया ने शशिकला को आगे नहीं बढ़ाया। ऐसे में तमिलनाडु की जनता में ये धारणा है कि अम्मा भी चिन्नम्मा को सीएम बनते नहीं देखना चाहती थीं।

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अब जरा तस्वीर का दूसरा पहलू देखिए। अगर पन्नीरसेल्वम मुख्यमंत्री बन गए तो शशिकला के लिए और भी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। आपको याद होगा कि अपोलो अस्पताल में जयललिता की मौत के बाद आम लोगों के अलावा मद्रास हाईकोर्ट ने भी मौत पर संदेह जताया था। दबी जुबान में कई लोगों ने शशिकला पर गंभीर आरोप लगाए थे। हालांकि इन आरोपों में कितनी सच्चाई है ये हम नहीं जानते , लेकिन इतना तो तय है कि जयललिता की तस्वीर को सामने रख कर राज काज चलाने वाले पन्नीरसेल्वम अपोलो अस्पताल और जयललिता की मौत की जांच करा सकते हैं। अगर ये जांच होती है तो हो सकता है शशिकला की मुश्किलें और भी बढ़ जाएं। क्योंकि जयललिता के बारे में कई सच्चाईयां ऐसी हैं जिन्हे शशिकला के सिवाय कोई नहीं जानता। तस्वीर चाहे जैसी बने, लेकिन इतना जान लीजिए कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद तमिलनाडु और तमिलनाडु की सियासत में घमासान मचने वाला है।