नई दिल्ली। गैर सरकारी संगठनों(एनजीओ), समितियों और स्वैच्छिक संगठनों के कोष और उनके उपयोग की निगरानी के लिए कोई नियामक व्यवस्था नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार(10 जनवरी) को केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया।
हिसाब न देने वाले एनजीओ पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा है कि ऐसे एनजीओ को सिर्फ ब्लैक लिस्ट करना काफी नहीं, इन पर सरकारी पैसे के गबन का मामला दर्ज हो।
सुप्रीम कोर्ट में रखे गए आंकड़ों के मुताबिक भारत में राजिस्टर्ड साढ़े 32 लाख एनजीओ में से लगभग 30 लाख बैलेंस शीट जमा नहीं कराते। यानी अपनी आमदनी और खर्च का ब्यौरा नहीं देते। अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा है कि वो 31 मार्च तक सबका ऑडिट कराए।
शीर्ष अदालत ने अधिकारियों से कहा है कि वे सूचित करें कि क्या1 2009 के बाद इन गैर सरकारी संगठनों का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने आडिट किया है या नहीं। पीठ ने यह भी जानना चाहा है कि क्या वित्त मंत्रालय द्वारा बनाए गए 2005 के वित्तीय नियमों पर अमल हुआ है या नहीं?