धुंध की आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए कोई कार्ययोजना नहीं होने पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की आलोचना करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा, ‘क्या आप तब तक इंतजार करना चाहते हैं, जब लोग मरना शुरू कर दें, लोग हांफ रहे हैं।’ सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से बिगड़ती वायु गुणवत्ता के स्तर से निपटने के लिए समयबद्ध उपाय करने को कहा।
प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मुद्दे पर ढुलमुल जवाब के लिए सीपीसीबी की खिंचाई की। सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने हालात से निपटने के लिए जरूरी काम नहीं कर पाने के लिए क्रियान्वयन एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराया।
न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति एसए बोबडे की पीठ ने कहा, ‘क्या आप तब तक इंतजार करना चाहते हैं, जब लोग मरना शुरू कर दें। प्रतिक्रिया ढुलमुल नहीं हो सकती। लोग सांस लेने के लिए तरस रहे हैं। लोगों की यह हालत है और आप इंतजार कर रहे हैं।’
पीठ ने अदालत में मौजूद सीपीसीबी के अध्यक्ष एसपी सिंह परिहार से कहा, ‘आपके पास योजना होनी चाहिए। आप वायु गुणवत्ता पर निगरानी के लिए स्टेशनों का प्रसार कैसे करेंगे जिससे तस्वीर साफ होगी? आपको एक योजना तैयार करनी होगी और हमें बताना चाहिए।’ पीठ ने कुछ दिशानिर्देश जारी किये जिनमें 19 नवंबर को सीपीसीबी अध्यक्ष के साथ सभी पक्षों की बैठक शामिल है।
भाषा की खबर के अनुसार, पीठ ने कहा कि आपातकालीन योजना में प्रदूषण के क्रमिक स्तर से निपटने के लिए जरूरी उपाय शामिल होंगे सुनवाई के दौरान सीपीसीबी अध्यक्ष ने पीठ से कहा कि उनके दिल्ली में द्वारका, दिलशाद गार्डन और शादीपुर डिपो में तीन वायु निगरानी केंद्र हैं, वहीं दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) और भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के ऐसे चार-चार केंद्र हैं।
शुरू में सॉलिसीटर जनरल (एसजी) ने पीठ से कहा, ‘सभी कानून और नियम बने हुए हैं लेकिन क्रियान्वयन एजेंसियां वो काम नहीं कर सकीं जो हालात से निपटने के लिए जरूरी है।’