सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रगान के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए साफ किया कि किसी भी फिल्म की स्क्रीनिंग से पहले राष्ट्रगान का चलाया जाना जरूरी होगा चाहे वह फिल्म किसी भी फिल्म फेस्टिवल में चलाई जा रही हो। बता दे कि, केरल में अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल होना है। फिल्म फेस्टिवल के आयोजक ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर करके 30 नवंबर के आदेश से छूट का अनुरोध किया था। उन्होंने वजह बताते हुए कहा था कि इस से महोत्सव में आए 1500 विदेशी मेहमानों को असुविधा होगी। इस पर जस्टिस दीपक मिश्रा और अमिताव राय ने कहा कि किसी फिल्म फेस्टिवल को 30 नवंबर को दिए गए आदेश से सिर्फ इसलिए बाहर नहीं रखा जा सकता क्योंकि वहां कुछ विदेशी पर्यटक आ रहे होंगे। साथ ही राष्ट्रगान के सम्मान में वहां मौजूद सभी लोगों को खड़ा होना होगा। साथ ही यह भी साफ किया गया कि दिव्यांगजनों को राष्ट्रगान से वक्त खड़े होने की जरूरत नहीं है।
बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, ‘क्योंकि वहां कुछ विदेशी मेहमान आएंगे और उन्हें परेशानी हो सकती है क्या इसके लिए हम अपना फैसला बदल लें? विदेशियों को खुश करने के लिए हम अपने फैसले में बदलाव क्यों करें? अगर फिल्म फेस्टिवल में 40 फिल्में चलेंगी तो तुम्हें 40 बार खड़ा होना होगा।’
बेंच ने आगे कहा, ‘क्या देश या राष्ट्रगान का सम्मान करने में भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता होनी चाहिए? सभी देशों के नागरिकों को अपना राष्ट्रगान सुनकर अच्छा लगता है। लेकिन हमने नियम बना दिया तो पता नहीं इसमें इतना हल्ला मचाने और रोने की क्या बात है।’
पीठ ने कहा कि एक अन्य पहलू पर भी स्पष्टीकरण की आवश्यकता है। जब हमने कहा कि दरवाजे बंद किए जाएंगे तो हमारा तात्पर्य यह नहीं था कि दरवाजों में चिटकनी लगा दी जाए जैसा कि दिल्ली नगर निगम बनाम उपहार ट्रैजडी विक्टिम्स एसोसिएशन के मामले में उल्लिखित है परंतु राष्ट्रगान के दौरान यह सिर्फ लोगों के आने-जाने को नियंत्रित करने के लिए है। अदालत इस मामले में अब 14 फरवरी, 2017 को आगे विचार करेगी।
आपको बता दे, 30 नवंबर को जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस अमिताभ राय की बेंच ने यह फैसला दिया था कि राष्ट्रगान को बजाने से लोगों में देशभक्ति और राष्ट्रीयता का भाव पैदा होगा। इस फैसले में सिनेमा घरों में किसी भी फिल्म को दिखाए जाने से पहले स्क्रीन पर तिरंगे के साथ राष्ट्रगान को बजाया जाना जरूरी कर दिया गया है।