रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार भेजने के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। कोर्ट में सरकार ने कहा कि रोहिंग्या मुस्लिम भारत में नहीं रह सकते है। रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। सरकार को ये खुफिया जानकारी मिली है कि कुछ रोहिंग्या आतंकी संगठनों के साथ मिले हुए है। सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये मौलिक अधिकारों के तहत नहीं आता है। ये संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत नहीं आता है। बता दें कि देश में करीब 40 हजार रोहिंग्या मुस्लिम अवैध तौर पर रह रहे है। भारत सरकार संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमों के अनुरूप कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 18 सितंबर को सुनवाई करेगा।
उल्लेखनीय है कि रोहिंग्या मुसलमानों के कथित उत्पीड़न के खिलाफ अलग-अलग तबके के करीब तीन-चार सौ लोगों ने बुधवार को दिल्ली में म्यांमार के दूतावास के बाहर प्रदर्शन किया था।
आपको बता दें कि, म्यामांर में हिंसा के बाद हजारों रोहिंग्या मुस्लिम भागकर बांग्लादेश आ गए है। लेकिन मजबूरी में रोहिंग्या मुस्लिमों को बांग्लादेश के उस सुदूर द्वीप पर बसना पड़ सकता है, जिस पर हर साल बाढ़ आती है।
बांग्लादेश सरकार ने रोहिंग्या मुस्लिमों को उस द्वीप पर पहुंचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मदद की अपील की है, क्योंकि म्यांमार के रखाइन प्रांत में सैन्य कार्रवाई के बाद से गरीबी से जूझ रहे बांग्लादेश में बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुस्लिम शरण की आश में पहुंच रहे है और उन्हें बसाने को लेकर अधिकारियों को संकट का सामना करना पड़ रहा है।