सुप्रीम कोर्ट ने जनता के लिए चुनाव प्रणाली में पारदर्शिता करने के लिए एक अहम फैसला दिया है। कोर्ट के फैसले के अनुसार चुनाव लड़ने वाले सभी प्रत्याशियों को जनता के समक्ष अपना एजुकेशन ब्योरा देना जरूरी होगा, एजुकेशनल बैकग्राउंड के बारे में जानना वोटर का मौलिक अधिकार है। कोर्ट ने यह भी कहा कि शैक्षिक योग्यता बारे में झूठा हलफनामा देना निर्वाचन रद्द होने की वजह बन सकता है।
क्या कहा अदालत ने
जस्टिस ए आर दवे और और जस्टिस एल नागेश्वर राव ने एक फैसले में व्यवस्था दी,‘प्रत्याशी की शैक्षणिक योग्यता के बारे में जानना हर मतदाता का मौलिक अधिकार है। जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों और फार्म 26 में भी यह स्पष्ट है कि यह प्रत्याशी का कर्तव्य है कि वह अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में सही जानकारी दे।’ सुप्रीम कोर्ट ने यह भी व्यवस्था दी कि यदि चुनाव में दो प्रत्याशी हैं और यह साबित हो गया कि जीतने वाले उम्मीदवार का नामांकन पत्र गलत तरीके से स्वीकार किया गया है तो चुनाव हारने वाले प्रत्याशी को यह सबूत देने की जरूरत नहीं है कि चुनाव वास्तव में प्रभावित हुआ है।
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