भारतीय सेना ने पिछले साल जून में भी म्यांमार में सर्जिकल हमले का सहारा लिया था। इसमें स्पेशल फोर्स के कमांडो ने 40 मिनट के अंदर 20 नगा उग्रवादियों का सफाया किया था। तब मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने ट्वीट किया था कि देश के दुश्मनों को यह करारा जवाब है। तब उन्होंने मीडिया को दिए बयानों इस हमले को पाकिस्तान के लिए चेतावनी बताया था। रपटों के मुताबिक, उन्होंने सेना के म्यांमार की सीमा के अंदर जाने की बात भी कही थी, लेकिन सेना के आधिकारिक बयान में यह ऑपरेशन सीमा पर हुआ बताया गया था।
कई और ऑपरेशनों में सेना के सीमा पार जाने की बात पर सरकार चुप रही। सूत्रों के मुताबिक, म्यांमार में ही 1995 में ऑपरेशन गोल्डन बर्ड के तहत भारत और म्यांमार (तब बर्मा) ने उत्तर पूर्वी राज्यों के 200 उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई की थी। भूटान में 2003 में ऑपरेशन ऑल क्लियर में उत्तर पूर्वी राज्यों के 30 उग्रवादी कैंपों का सफाया किया गया था। 1971 में बांग्लादेश के लिए हुई जंग से पहले भारतीय सेना ने मुक्ति वाहिनी के साथ पूर्वी पाकिस्तान के अंदर घुसी थी। इस बात को उस समय के सैन्य जानकार साफ मानते हैं।