एलओसी पर भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक को अपनी तरह का पहला कदम माना जा रहा है, लेकिन सेना ने पहले भी दूसरे देश की सीमा में घुसकर ऐसे हमलों को अंजाम दिया है। सूत्रों ने बताया कि दूसरे देश में घुसने की बात कबूलने से जंग की स्थिति आ सकती है। मौजूदा समय में मोदी सरकार पर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई का दबाव था, लेकिन सरकार जंग की स्थिति मोल लेने के लिए तैयार नहीं है।
सर्जिकल स्ट्राइक के तहत दुश्मन की सीमा में घुसकर टारगेट को नुकसान पहुंचाने के बाद अपनी सीमा में वापस लौट जाना होता है। पूरी दुनिया में ऐसे हमले किए जाते हैं और इसे जंग के तौर पर नहीं देखा जाता, क्योंकि इसमें दुश्मन की सेना के खिलाफ सीधी जंग नहीं होती। इसे ठोस खुफिया जानकारी मिलने के बाद ही गुपचुप तरीके से अंजाम दिया जाता है।
गुरुवार को सेना के डीजीएमओ ने जो बयान पढ़ा, उसमें सर्जिकल स्ट्राइक शब्द का इस्तेमाल किया गया था। ऑपरेशन कैसे चला, इसके बारे में कोई ब्यौरा नहीं दिया गया। बयान पढ़ने के बाद डीजीएमओ ने पत्रकारों के किसी सवाल का जवाब नहीं दिया। उन्होंने यह साफ नहीं किया कि हमारी सेना ने लाइन ऑफ कंट्रोल को पार किया या नहीं। सूत्रों का कहना है कि सेना पहले भी एलओसी पार करती रही है, लेकिन कोई सरकार इस पर आधिकारिक तौर पर जानकारी नहीं दे सकती है।